महंगे एलपीजी सिलेंडर की सरकार ने बताई वजह
10 Mar 2021
722
संवाददाता/in24 न्यूज़.
आज महंगाई ने जिस तरह आम आदमी के बजट को हिलाकर रख दिया है उसमें एलपीजी सिलेंडर भी शामिल है. लोकसभा में सरकार के जवाब से पता चलता है कि घरेलू रसोई गैस या एलपीजी रिफिल की कीमत पिछले सात सालों में दोगुनी हो गई है और दरें बढ़ाकर सब्सिडी को ख़त्म कर दिया गया है. लोकसभा में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के लिखित जवाब के अनुसार इस अवधि के दौरान बढ़े हुए टैक्स के परिणामस्वरूप पेट्रोल और डीजल की बिक्री से सरकार का कर संग्रह साढ़े चार गुना बढ़ गया है. सोमवार को ईंधन की बढ़ती कीमतों पर पूछे गए सवालों के जवाब के अनुसार 1 मार्च, 2014 को एक एलपीजी रिफिल की कीमत 410.50 रुपये थी और इस महीने बढ़कर 819 रुपये हो गई. यह कीमतें दिल्ली की हैं. 4 फरवरी से चार बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप पिछले 32 दिनों में एलपीजी रिफिल की कीमत में प्रति सिलेंडर 125 रुपये की बढ़ोतरी हुई. 25 रुपये की एक और बढ़ोतरी के बाद एलपीजी रिफिल की कीमत 1 फरवरी से 175 रुपये बढ़ गई है. 2013 में ईंधन की बिक्री से राजस्व संग्रह 52,537 करोड़ रुपये रहा, जो 2019-20 में बढ़कर 2.13 लाख करोड़ रुपये और 2020-21 के 11 महीनों में 2.94 लाख करोड़ रुपये हो गया.पेट्रोल पर 32.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 31.80 रुपये लीटर का एक्साइज़ ड्यूटी लगता है. 2018 में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 17.98 रुपये और मृत्यु दर पर 13.83 रुपये था. मंगलवार को पेट्रोल-डीज़ल को लेकर सदन में विपक्ष की नारेबाजी के बाद राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. भाजपा नेता सुशील मोदी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ी है जिसकी वजह से सरकार को तेल की कीमतें बढ़ानी पड़ी है. जो टैक्स इससे आता है वह किसी की जेब में नहीं जाता है. सड़क, बिजली, पानी और विकास की योजनाओं का काम इन्हीं पैसों से होता है. बता दें कि साड़ी जानकारी के बावजूद विपक्ष ने सरकार पर हमला बोलने का काम जारी रखा है.