मुस्लिम और जाट बहुल क्षेत्रों में हुई बंपर वोटिंग, क्या BJP को होगा इससे घाटा?

 11 Feb 2022  278
संवाददाता/ in24 न्यूज़
 
 
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Up Election 2022) के पहले चरण की वोटिंग समाप्त हो गयी है. पहले चरण में 58 सीटों पर कुल 62 फीसदी मतदान हुआ है। जिसेक बाद राजनीतिक पंडित अपने अपने स्तर पर भविष्यवाणी करने लगे हैं. उत्तर प्रदेश में वोटिंग के इतिहास को देखा जाए तो यह आंकड़ा काफी अच्छा कहा जा सकता है। लेकिन परंपरागत तौर पर जानकार मानते रहे हैं कि अधिक वोटिंग आमतौर पर बदलाव को द्योतक होती है। मुस्लिम एवं जाट बहुल और ग्रामीण इलाकों में बढ़े वोट प्रतिशत को भाजपा (BJP) के लिहाज से चिंताजनक माना जा सकता है।
वोटिंग आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो गाजियाबाद जैसे शहर में वोटिंग का प्रतिशत सबसे कम 55 फीसदी रहा जबकि शामली में यह आंकड़ा 69.42 फीसदी तक पहुंच गया। शामली जिले में कुल 69 फीसदी मतदान हुआ, जबकि सबसे ज्यादा चर्चा में रहीं कैराना सीट पर 75 फीसदी मतदान हुआ। इससे साफ है कि कैराना में वोटों का ध्रुवीकरण हुआ है और हर पक्ष की ओर से ज्यादा से ज्यादा मतदान का प्रयास किया गया। इसके अलावा शामली में 67 फीसदी और थाना भवन में 65 फीसदी वोटिंग देखने को मिली। इसके अलावा मथुरा में 62.90 फीसदी और आगरा में 60 फीसदी मतदान रहा है।

मुस्लिम बहुल और किसान आंदोलन से प्रभावित जिलों जैसे मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली और बागपत में अच्छी खासी संख्या में लोगों ने मतदान डाला है। जबकि मुजफ्फरनगर और बागपत में 65 फीसदी तक वोटिंग हुई है। इसके अलावा मेरठ में 63 फीसदी मतदान हुआ। हापुड़ में भी मतदान का प्रतिशत काफी अच्छा रहा है, यहां 67 फीसदी लोगों ने वोट डाले। तो वहीं बुलंदशहर में भी 65 फीसदी लोगों ने मतदान किया। वहीं गाजियाबाद में यह आंकड़ा 55 फीसदी पर ही रुक गया, जबकि गौतमबुद्धनगर में 57 फीसदी ही रहा, जहां नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे शहरी इलाके आते हैं। यही नहीं सबसे ज्यादा शहरी क्षेत्र गाजियाबाद के साहिबाबाद में महज 47 फीसदी मतदान ही हुआ है। जिले में सबसे ज्यादा 66 फीसदी वोटिंग मोदीनगर सीट पर हुई, जिसमें बड़ा इलाका बड़ा ग्रामीण है। मेरठ में 63 फीसदी वोटिंग हुई है, लेकिन बड़ा हिस्सा शहरी क्षेत्र होने के बाद भी यह आंकड़ा उत्साहजनक है। इसके अलावा अन्य सभी 5 जिलों में मतदान का आंकड़ा 65 फीसदी के पार रहा है। शामली में तो यह 69 फीसदी तक पहुंच गया। ऐसे में माना जा रहा है कि किसान आंदोलन, जाट-मुस्लिम एकता और जातीय समीकरणों के चलते ध्रुवीकरण काफी ज्यादा रहा है और इन इलाकों में लोग बड़ी संख्या में वोट करने निकले हैं।