स्कूल में अंडा खिलाने पर चला विवादों का डंडा
05 Dec 2021
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संवाददाता/in24 न्यूज़।
शिक्षा (Education) प्राप्त करने के लिए विद्यार्थियों का स्वस्थ होनाआवश्यक है। कर्नाटक सरकार ने राज्य के सात जिलों में स्कूली बच्चों को अंडे (Eggs) का वितरण (Distribution) शुरू कर दिया है जहां एक दिसंबर से कुपोषण संकेतिक खतरे के रूप में सामने आया है। सरकार के इस फैसले ने समाज के एक वर्ग को नाराज कर दिया है जो मांग कर रहे हैं कि अंडे स्कूलों के अंदर वितरित नहीं किए जाने चाहिए क्योंकि यह स्कूल जाने वाले बच्चों में भेदभाव को प्रोत्साहित करता है। स्कूली बच्चों को अंडे की खुराक का समर्थन करने वाले एक अन्य वर्ग का दावा है कि यह परियोजना बंद नहीं होनी चाहिए क्योंकि छात्रों को प्रोटीन सप्लीमेंट की जरूरत होती है। जिन बच्चों की बेहतर पोषण तक आसान पहुंच होती है, उनके शिक्षा के परिणाम बेहतर होते हैं। 2007 में एच.डी. कुमारस्वामी ने धार्मिक समूहों के दबाव में आकर स्कूली बच्चों को अंडे बांटने की अपनी परियोजना को वापस ले लिया था। बहरहाल, यह देखना होगा कि अब भाजपा सरकार इस मुद्दे पर क्या प्रतिक्रिया देती है। शिक्षा मंत्री बी सी नागेश के मुताबिक़ लोगों ने इसका विरोध और समर्थन कर इस योजना को लागू किया है। उन्होंने कहा कि अंडे का कोई विकल्प नहीं है। सोयाबीन है, लेकिन बच्चे इसे नहीं खाएंगे। इस परियोजना को बच्चों में कुपोषण को दूर करने के इरादे से लागू किया गया है। एक दिसंबर से, कर्नाटक सरकार ने सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले छह से 15 वर्ष की आयु के बच्चों और कुपोषण, एनीमिया और प्रोटीन की कमी से पीड़ित बच्चों को उबले अंडे और केले उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है। बहरहाल इस मुद्दे पर विवाद ने विद्यार्थियों पर भी असर डाला है। बता दें कि अंडे के विज्ञापन में यह तथ्य सामने आया था की संडे हो या मंडे रोज़ खाओ अंडे!