महाराष्ट्र में बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगिता को मिली मंजूरी
17 Dec 2021
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संवाददाता/ in24 न्यूज़
महाराष्ट्र (maharashtra) में बैलों की दौड़ कि बेहद पुरानी परंपरा है लेकिन सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने साल 2014 में पूरे देश भर में बैलगाड़ी दौड़ (bullacart race in maharashtra) पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिस पर एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मुहर लगा दी है, यानी सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में बैलों की दौड़ फिर से शुरू करने की अनुमति कुछ शर्तों और नियमों के तहत दी है. जैसा कि कर्नाटक और तमिलनाडु द्वारा पशु क्रूरता निवारण अधिनियम में संशोधन किया।
आपको बता दें कि कर्नाटक और तमिलनाडु राज्य संशोधनों की वैधता को चुनौती साल 2018 से ही सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष लंबित है, जिस पर जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि महाराष्ट्र संशोधनों की वैधता भी कर्नाटक और तमिलनाडु के साथ-साथ संविधान पीठ द्वारा की जाएगी।
आपको यह भी बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2014 में जल्लीकट्टू बैल दौड़ और बैलगाड़ी दौड़ पर पूरे देश भर में प्रतिबंध लगा दिया था जिसका कारण सर्वोच्च न्यायपालिका ने यह बताया था कि इस तरह के आयोजन पीसीए अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने जैसे ही कुछ शर्तों के साथ बैलगाड़ी दौड़ को अनुमति प्रदान की, वैसे ही बैलगाड़ी दौड़ के आयोजकों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (bjp) और महाराष्ट्र की महाविकास आघाडी सरकार (mva government) में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए फैसले किस श्रेय लेने की होड़ मच गई है. जहां महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (devendra fadnavis) यह कह रहे हैं कि साल 2014 से ही उन्होंने बैलगाड़ी दौड़ के लिए कड़ी मेहनत की, केंद्र सरकार के साथ पत्राचार किया, उसी का ही ये नतीजा है कि आज उनकी मेहनत रंग लाई और सुप्रीम कोर्ट ने बैलगाड़ी दौड़ पर एक बार फिर से अपनी मुहर लगा दी. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार का यह कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से किसानों में खुशी का माहौल है, और राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जो दलीलें रखी गई, उसी का यह नतीजा है कि आज बैलगाड़ी दौड़ पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है.