जज पुष्पा गनेदीवाला ने दिया इस्तीफा, 'स्किन टू स्किन टच' फैसला देकर आई थीं चर्चा में

 11 Feb 2022  564
संवाददाता/ in24 न्यूज़
 
बॉम्बे हाईकोर्ट (bombay high court) की अतिरिक्त न्यायाधीश पुष्पा गनेदीवाला (pushpa ganediwala) याद हैं आपको, वहीं जिन्होंने रेप (rape) के एक मामले में अजीबो-गरीब फैसला दिया था, इसके बाद वे देश भर में चर्चा में आ गयीं थीं. अब न्यायाधीश पुष्पा गनेदीवाला ने अपना इस्तीफा दे दिया है। गनेदीवाला ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और बॉम्बे एचसी के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता को अपना त्याग पत्र भी भेजा है। उन्होंने अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेज दिया है, जबकि अभी उनका कार्यकाल बाकी था. इस सप्ताह के अंत में अतिरिक्त एचसी न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति खत्म होने वाली थी, इसके बाद उन्हें निचली अदालत में वापस जाना पड़ता। बताया जा रहा है कि उन्हें जिला जज के पद पर वापस जाना नागवार गुजरा, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दिया है.
 
कनूनी प्रकिया के जानकारों की मानें तो, अगर किसी की नियुक्ति एक बार हाई कोर्ट के जज के रूप में हो जाती है तो इसे प्रमोशन के रूप में माना जाता है. और हाई कोर्ट का जज बन जाने के बाद अगर उसे निचली न्यायपालिका में वापस भेजा जाता है तो इसे डिमोशन के रूप में जाना जाता है. हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं है जब इस तरह का कोई मामला सामने आया हो, ऐसे मामले पहले भी कई बार सामने आ चुके हैं।
 
गौरतलब है कि पुष्पा गनेदीवाल तब चर्चा में आ गयी थीं, जब उन्होंने पोक्सो ऐक्ट के एक मामले में 'स्किन टू स्किन टच' वाला फैसला सुनाया था, और रेप के एक आरोपी को राहत दी थी।
 
पुष्पा गनेदीवाल के इस्तीफे का मतलब है कि वह न्यायपालिका को छोड़कर फिर से प्रैक्टिस कर सकेंगी। खबर है कि वे या तो सुप्रीम कोर्ट में मध्यस्थता और मुकदमे लड़ेंगी या मुंबई में अपने रिश्तेदार की लॉ फर्म में जॉइन कर सकती हैं।
 
कई विवादित फैसलों के बाद, शीर्ष अदालत के कॉलेजियम ने अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनके कार्यकाल के अंत में उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद, उन्हें 13 फरवरी, 2021 को अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में एक साल का विस्तार दिया गया। 53 वर्षीय गनेदीवाला ने 8 फरवरी, 2019 को अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने से पहले, अमरावती के परतवाड़ा में एक जिला न्यायाधीश के रूप में शुरुआत की थी। उनका नाम 2018 में भी एचसी के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में आया था, लेकिन इस पर विचार नहीं किया गया था। कुछ वरिष्ठ न्यायाधीशों ने प्रतिकूल टिप्पणी की जिसके कारण एससी कॉलेजियम ने उनकी नियुक्ति को टाल दिया। पूर्व CJI रंजन गोगोई के कार्यकाल के दौरान उन्हें प्रतिष्ठित पद पर नियुक्त किया गया था।