1990 से हुई अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत
07 Mar 2020
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संवाददाता/in24 न्यूज़.
महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपनी सफलता का परचम लहरा रही हैं. किसी भी मामले में महिलाएं कमज़ोर नहीं हैं। विश्व महिला दिवस की शुरुआत1990 से हुई. बता दें कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस यानि 8 मार्च को दुनिया के सभी देश चाहे वह विकसित हो या विकासशील मिलकर महिला अधिकारों की बात करते हैं। महिला दिवस के दिन औरतों की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों के बारे में चर्चा की जाती है। साथ ही औरतों की तरक्की के विविध पहलुओं पर बातें होतीं हैं। तो आइए हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के बारे कुछ गुफ्तगू करते हैं। सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने की शुरूआत सन् 1990 में हुई। हालांकि इसे आधिकारिक मान्यता साल 1975 में मिली। यह वही साल था जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक थीम के साथ इसे मनाना शुरु किया। 19वीं सदी तक आते-आते महिलाओं ने अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता दिखानी शुरू कर दी थी। अपने अधिकारों को लेकर सुगबुगाहट पैदा होने के बाद 1908 में 15000 स्त्रियों ने अपने लिए मताधिकार की मांग दुहराई। साथ ही उन्होंने अपने अच्छे वेतन और काम के घंटे कम करने के लिए मार्च निकाला। यूनाइटेड स्टेट्स में 28 फरवरी 1909 को पहली बार राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। कहते हैं महिला दिवस को 8 मार्च को मनाने के पीछे एक रोचक घटना है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का विचार सबसे पहले जर्मनी की क्लारा जेडकिंट ने 1910 में रखा। उन्होंने कहा कि दुनिया में हर देश की महिलाओं को अपने विचार को रखने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने की योजना बनानी चाहिए। इसके मद्देनजर एक सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें 17 देशों की 100 महिलाओं ने भाग लिया और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने पर सहमति व्यक्त की। 19 मार्च 1911 को आस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। उसके बाद 1913 में इसे बदल कर 8 मार्च कर दिया। 1975 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने पहली बार 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया था। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन कुछ देशों में अवकाश घोषित किया जाता है। अवकाश घोषित देशों में अफगानिस्तान, अंगोला, बेलारूस, कजाकिस्तान इत्यादि हैं। इसके अलावा कुछ ऐसे भी देश हैं जहां अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर केवल महिलाओं की छुट्टी होती है जिसमें चीन, नेपाल, मकदूनिया और मेडागास्कार शामिल हैं। साथ ही कुछ ऐसे देश भी हैं जहां 8 मार्च को कोई छुट्टी तो नहीं होती लेकिन इसे बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। चिली, बुलगारिया, रोमानिया, क्रोशिया और कैमरून को इसमें शामिल किया जाता है। यहां लोग अपने जीवन में मौजूद नारियों को तरह-तरह के तोहफे देते हैं। भारत में भी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन नारियों के सम्मान में तरह-तरह के समारोह आयोजित किए जाते हैं। साथ ही समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए महिलाओं को सम्मानित भी किया जाता है। स्त्रियों के लिए कार्य करने वाले संगठन इस दिन विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण शिविर और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन करते हैं। कई संस्थाओं द्वारा गरीब महिलाओं को आर्थिक मदद देने की घोषणा भी की जाती है। भारत में नारियों को मौलिक अधिकार, मतदान का अधिकार और शिक्षा का अधिकार तो प्राप्त है लेकिन अभी भी स्त्रियां अभावों में जिंदगी बीता रही हैं। हमारे समाज में धीरे-धीरे हालात बदल रहे हैं। आज कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जो नारियों से अछूता हो।