पोक्सो एक्ट कोर्ट का बड़ा फैसला, दुष्कर्म के आरोपी को दी रिहाई, कहा-उसे नहीं पता थी पीड़िता की उम्र !

 30 Jan 2017  1756

ब्यूरो रिपोर्ट / in24 न्यूज़

 दुष्कर्म के आरोपी को कड़ी सजा देने का प्रावधान भारतीय संविधान में है लेकिन मुंबई में पोक्‍सो एक्‍ट कोर्ट ने एक नाबालिग से रेप के आरोपी को रिहा कर दिया है। रिहाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि आरोपी को नाबालिग पीड़िता की उम्र का पता नहीं था। एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार पोक्‍सो एक्‍ट कोर्ट ने 24 वर्षीय व्‍यापारी को एक 17 साल की नाबालिग के अपहरण और दुष्‍कर्म के मामले में रिहा कर दिया है। अदालत ने यह कहते हुए आरोपी को रिहा किया कि उसे शादी के दौरान पीड़‍िता की उम्र का अंदाजा नहीं था। अदालत ने प्रॉसिक्‍यूशन की उस दलील को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने कहा था कि भले ही यौन संबंध सहमति से बने हों लेकिन लड़की यदि नाबालिग है तो स्‍पेशल एक्‍ट के तहत इसे दुष्‍कर्म के अपराध के रूप में देखा जाता है।

अदालत का कहना था कि आरोपी और पीड़‍िता दोनों की मुस्लिम पर्सनल लॉ के अधीन हैं और इसके अनुसार शादी के लिए उम्र की सीमा नहीं होती। मुस्लिम समुदाय की यह लड़की यौवन प्राप्‍त करने के बाद शादी कर सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अपहरण और रेप की शिकायत दर्ज करवाने के बाद भी पीड़‍िता की मां ने इस शादी को मंजूरी दी थी। अदालत ने कहा कि, पीड़‍िता 17-18 वर्ष के बीच की है जो कॉलेज जाती है। उसे अच्छी तरह इस बात का ख्याल था कि वो जो यौन संबंध बना रही है और उसके साथ जो हो रहा है वो असल में क्‍या है इसलिए आरोपी द्वारा उसकी सहमति से यौन संबंध बनाना रेप के रूप में नहीं देख जा सकता।

आपको बता दें कि 11 अप्रैल 2014 को लड़की की मां ने गामदेवी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी कि उसकी बेटी कॉलेज से घर नहीं लौटी। लड़की की सहेलियों ने बताया कि उन्‍होंने उसे दोपहर में कॉलेज कैंपस में देखा था। उसी दिन लड़की की अन्‍य सहपाठियों ने बताया कि उस लड़की का किसी से अफेयर चल रहा था जो उससे अक्‍सर मिलने आता था। वह दोनों शादी करना चाहते थे। यह दोनों ही घर से भाग गए थे और शादी करने के बाद घर लौटे थे। उनके आने के बाद लड़की की मां ने उन दोनों की शादी रजिस्‍टर भी करवाई थी। बहरहाल दुष्कर्म के मामले में कोर्ट के इस ताजा फैसले से न सिर्फ उस परिवार को राहत मिली है जिसका कि बेटा दुष्कर्म मामले में गिरफ्तार किया गया था बल्कि उन लोगों को भी इस फैसले से राहत मिलेगा जो अभी भी इस तरह के मामले में फंसे हुए हैं।