BJP की जीत में क्या रही मायावती की भूमिका?

 11 Mar 2022  537
संवाददाता/ in24 न्यूज़
 
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) के परिणाम सामने आ चुके हैं. जिसमें बीजेपी को अप्रत्याशित जीत मिली है. अगर बात करें यूपी चुनाव परिणाम की तो बीजेपी ने फिर से सत्ता में वापसी की है. इस चुनाव में जिस पार्टी का सबसे बुरा हाल हुआ है, वो बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा (BSP) है. मायावती (Mayawati) की बसपा महज एक सीट पर जीत हासिल कर पाई है. मायावती की पार्टी अपना दल, निषाद पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल तक से पिछड़ गई है. साल 2017 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले बसपा को करीब 10 प्रतिशत वोट कम मिले हैं. पिछले रिकॉर्ड पर नजर डालें तो पार्टी को 2017 में 22 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे और उसने 19 सीटें हासिल की थीं. जबकि साल 2012 में उसने 80 और 2007 में 206 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

बसपा के इस हश्र से सियासी विश्‍लेषक हैरान नहीं हैं. उनका मानना है कि समाजवादी पार्टी (SP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच जो अंतर रहा, उसकी एक वजह BSP से शिफ्ट हुआ वोट बना. यानी इन मतदाताओं ने ‘हाथी’ का साथ छोड़कर ‘कमल’ थाम लिया. उनके मुताबिक, सपा का वोट 8-10% बढ़ा है, लेकिन बसपा के वोट प्रतिशत में जो कमी आई है, उससे भाजपा को फायदा हुआ है. जिन इलाकों को कभी मायावती और बसपा का गढ़ माना जाता था, वहां से भी पार्टी को उम्मीद के मुताबिक वोट नहीं मिला।
मायावती की पार्टी BJP और SP दोनों के साथ गठजोड़ कर चुकी है. हालांकि, बीते ढाई दशकों से बसपा का भाजपा के प्रति ज्यादा रुझान देखा गया है. मायावती तीन बार BJP के सहयोग से यूपी की मुख्यमंत्री भी बन चुकी हैं. मौजूदा विधानसभा चुनाव में मायावती ने किसी दल के साथ गठजोड़ नहीं किया था, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि अकेले मैदान में उतरकर भी BSP भाजपा के लिए मददगार साबित हुई. बहुजन समाज पार्टी का वोट शेयर घटने से बीजेपी को सीधा फायदा हुआ.
चुनाव से पहले मायावती ने बसपा को बहुमत से जीत दर्ज करने का दावा किया था. लेकिन उनका यह दावा हवाहवाई ही साबित हुआ. चुनाव प्रचार के दौरान ही BJP नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बसपा को लेकर एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि, ‘बसपा ने अपनी रेलिवेंसी बनाई हुई है. मैं मानता हूं कि पार्टी को वोट आएंगे. लेकिन सीट में कितना कन्वर्ट होगा, वो मालूम नहीं, लेकिन वोट आएंगे. मुसलमान भी बड़ी संख्या में जुड़ेंगे. काफी सीटों पर जुड़ेंगे’. इस इंटरव्यू के बाद विश्लेषकों और राजनीतिक विरोधियों ने BSP को BJP की ‘B टीम’ बताना शुरू कर दिया था.