बीएमसी चुनाव में बीजेपी को हो सकता है उद्धव और शिंदे की लड़ाई का फायदा

 21 Oct 2022  452

संवाददाता/ in24 न्यूज़।  

महाराष्ट्र का राजनीतिक समीकरण दिन व दिन और बिगड़ता जा रहा है। एक तरफ शिवसेना पर वर्चस्व को लेकर शिवसेना पार्टी आधिकारिक तौर पर दो खेमों में बंट गई है। चुनाव आयोग की ओर से एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट को अलग-अलग नाम और सिंबल दे दिए गए हैं। एकनाथ और उद्धव ठाकरे में से कौन इस जंग में विजेता रहा है, यह तो बाद में पता चलेगा, लेकिन दो गुटों की आपसी लड़ाई का फायदा उठाकर भाजपा जरूर विजय की ओर बढ़ सकती है। इसकी शुरुआत बीएमसी चुनाव से ही हो सकती है, जहां मराठी वोटों में बड़ा बंटवारा होने की संभावना है। जिसका सीधा लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिलेगा और वह देश के सबसे बड़े बजट वाली बीएमसी में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभर सकती है। वहीं आर्थिक राजधानी मुंबई के सामाजिक समीकरण भी अब पहले जैसे नहीं रहे। इसके अलावा उद्धव ठाकरे की ताकत बंट चुकी है। जो बची भी है, उसके जरिए वह मराठी मानुस का कार्ड चलने में सक्षम नहीं दिख रहे हैं। फिलहाल शिवसैनिकों को यह पता ही नहीं है कि उन्हें किस राह पर जाना चाहिए। एक समय में बालासाहेब ठाकरे के आह्वान पर शिवसैनिक हिंदुत्व और मराठी मानुस के नाम पर सड़कों पर उतर जाते थे, लेकिन अब उद्धव नए हिंदुत्व को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह नया हिंदुत्व कितना शिवसैनिकों और आम लोगों के गले उतरता है, यह बीएमसी चुनाव से साबित हो जाएगा। माना जाता है कि उद्धव ठाकरे अपने पिता की तरह स्ट्रीट फाइट की बजाय उदारवादी हिंदुत्व की विचारधारा पेश करना चाहते हैं। भले ही विधायक और सांसदों की बड़ी संख्या एकनाथ शिंदे के पास है, लेकिन बड़ी संख्या में शिवसैनिक उद्धव ठाकरे के समर्थन में है। हालांकि इसके बाद भी कड़े मुकाबले में विभाजन होने पर भाजपा की ही विजयी होने की संभावना है। इस तरह मराठी मानुस  का बंटा वोट हिंदुत्व के नाम पर भाजपा को फायदा देगा।