30 नवंबर तक टला, नवाब मलिक की जमानत पर फैसला
24 Nov 2022
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ब्यूरो रिपोर्ट/in24न्यूज़/मुंबई
धनशोधन मामले में जेल की सलाखों के पीछे कैद एनसीपी के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक (Ex Minister Nawab Malik) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही. नवाब मलिक की जमानत याचिका पर आज सुनवाई होने वाली थी लेकिन न्यायपालिका ने नवाब की जमानत याचिका पर यह कहते हुए फैसला 30 नवंबर तक सुरक्षित रख दिया कि आदेश अभी तैयार नहीं है. इससे पहले भी विशेष न्यायाधीश आर एन रोकड़े (Special Judge RN Rokade) ने 14 नवंबर को मलिक की जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था, लेकिन दोनों पक्षों की लंबी दलीलें सुनने के बाद उसे गुरुवार यानी 24 नवंबर तक के लिए टाल दिया था. अब मलिक की जमानत याचिका पर फैसला 30 नवंबर को सुनाए जाने की संभावना है.
दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम (Gangster Dawood Ibrahim) और उसके सहयोगियों की गतिविधियों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में इस साल फरवरी में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता नवाब मलिक को गिरफ्तार किया था, जो कि अभी न्यायिक हिरासत में है. मालिक का फिलहाल एक निजी अस्पताल (Private Hospital) में इलाज चल रहा है. नवाब मलिक ने विशेष अदालत में जुलाई महीने में नियमित जमानत याचिका दायर की थी. मलिक ने यह कहते हुए जमानत मांगी थी कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है, जिससे उनके ऊपर कोई मुकदमा न चलाया जाए. हालांकि, जांच एजेंसी ने दाऊद इब्राहिम और उसके गुर्गों के खिलाफ जमानत का विरोध किया. ईडी ने दावा किया है कि आरोपी मालिक कुख्यात अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहिम और उसकी बहन हसीना पारकर के साथ काम कर रहा था और उसके निर्दोष होने का कोई सवाल ही नहीं उठता. बता दें कि मलिक के खिलाफ यह मामला एनआईए द्वारा फाइल एक एफआईआर के आधार पर किया है, यह प्राथमिकी 1993 के मुंबई बम विस्फोट मामले के प्रमुख आरोपी दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दायर की गई थी. वैसे दाऊद इब्राहिम कासकर साल 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाके मामले का मुख्य आरोपी है और एनसीपी के दिग्गज नेता व महाराष्ट्र के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक के संबंध जांच एजेंसियों ने जिस तरीके से दाऊद इब्राहिम से लिंक किया है उससे नवाब मलिक की छवि पर लगे दाग तब तक नहीं धुलेंगे जब तक उन्हें न्यायपालिका से बाइज्जत बरी होने का आदेश नहीं मिल जाता.