कलिना यूनिवर्सिटी में सेंट्रल लाइब्रेरी कार्य के लिए सरकार को 107 करोड़ का अतिरिक्त नुकसान

 26 Nov 2022  614
ब्यूरो रिपोर्ट/in24न्यूज़/मुंबई    
 
   आर्थिक राजधानी मुंबई के पश्चिम उपनगर में स्थित है कलिना यूनिवर्सिटी, जहां के कैंपस में ही सेंट्रल लाइब्रेरी बनाने का काम कई सालों से अधर पड़ा है. आज नौबत यहां तक आ गयी कि पिछले 12 साल से ठप पड़े सेंट्रल लाइब्रेरी के काम पर अब 190 करोड़ रुपये का खर्च होने की बात सामने आ रही है जबकि महाराष्ट्र सरकार द्वारा इंडिया बुल्स को 137.07 करोड़ रुपये पहले ही दिए जा चुके हैं. और वर्तमान में लंबित पड़े अधूरे कार्यों के लिए 53 करोड़ का टेंडर जारी किया गया है. यह जानकारी सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुहैया कराई गई है. अपेक्षित व्यय को देखते हुए अब यह भी सामने आया है कि सेंट्रल लाइब्रेरी के कार्य में सरकार को 107 करोड़ का अतिरिक्त नुकसान हुआ है. दरअसल आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सार्वजनिक निर्माण विभाग से सेंट्रल लाइब्रेरी के ठप पड़े काम की जानकारी मांगी थी. जिसके बाद सार्वजनिक निर्माण विभाग ने अनिल गलगली को वर्तमान स्थिति की जानकारी प्रदान की है. बता दें कि 26 नवंबर 1993 को सरकार ने सेंट्रल लाइब्रेरी के लिए मुंबई युनिवर्सिटी को 1.61 लाख में 4 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया. सेंट्रल लाइब्रेरी के निर्माण के लिए 23 हजार 423 वर्ग मीटर निजीकरण के माध्यम से निर्माण के लिए इंडियाबुल्स रियल एस्टेट लिमिटेड के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया. सेंट्रल लाइब्रेरी के निर्माण के एवज में 18 हजार 421 वर्ग मीटर के निर्माण की अनुमति देने वाले 99 वर्षों की लंबी अवधि के लिए 1 प्रति वर्ग में रेट फिक्स था. 6 जुलाई 2010 को वर्क ऑर्डर का आदेश जारी कर 36 माह में इसे पूरा करने की सहमति बनी, इससे पहले 19 फरवरी, 2009 को कैबिनेट की इंफ्रास्ट्रक्चर कमेटी द्वारा इसे अनुमोदित किया गया था. वहीं महाराष्ट्र कैबिनेट की इन्फ्रास्ट्रक्चर कमेटी ने 3 सितंबर, 2019 को इंडिया बुल्स रियल एस्टेट लिमिटेड द्वारा परियोजना को पूरा नहीं करने के मद्देनजर डेवलपर द्वारा मांगी गई राशि और मुआवजे के भुगतान को मंजूरी दे दी. जिसके बाद 7000 वर्ग मीटर क्षेत्र के भूखंड का हस्तांतरण रद्द कर दिया गया, बता दें कि विकासकर्ता को 137.07 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है तथा 6 मंजिला सेंट्रल लाइब्रेरी के अधूरे निर्माण को पूरा करने के लिए 46.67 करोड़ रुपये भी निर्धारित किये गये हैं. फिलहाल 53 करोड़ खर्च का नया टेंडर जारी किया गया है, जिसमें एक साल के भीतर सेंट्रल लाइब्रेरी का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य है. अनिल गलगली के मुताबिक इस ठेके से सरकार को कोई फायदा नहीं हुआ, बल्कि आने वाले दिनों में लगभग 107 करोड़ का अतिरिक्त नुकसान होगा जबकि ठेका पूरा नहीं करने वाली कंपनी इंडिया बुल्स रियल एस्टेट लिमिटेड को फायदा हुआ है, क्योंकि निर्माण की लागत 82.49 करोड़ रुपए होते हुए किस आधार पर विकासकर्ता को 137.07 करोड़ की राशि का भुगतान किया गया है, इसकी जांच वक्त की जरूरत है, ऐसा कहना आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गलगली का है.  अनिल ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को भेजे पत्र में मांग की है कि तत्कालीन मंत्रियों, अधिकारियों और ठेकेदारों ने सरकार को धोखा दिया है, जिसकी जांच और कार्रवाई बेहद जरुरी है ताकि ये पता चल सके कि भूखंड के श्रीखंड की मलाई किस-किस ने काटी और सरकारी तिजोरी में सेंधमारी कौन कर रहा है ?