मुंबई को सोने का अंडा देने वाली मुर्गी कहने पर सत्ता पक्ष के विधायक आक्रामक
22 Dec 2022
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संवाददाता/in 24 न्यूज़।
शीतकालीन अधिवेशन के दौरान नागपुर विधानसभा में उस वक्त हंगामा मच गया. जब एनसीपी के वरिष्ठ विधायक छगन भुजबल ने मुंबई को सोने का अंडा देने वाली मुर्गी से तुलना की। जिसके बाद एनसीपी के वरिष्ठ विधायक छगन भुजबल को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं दो बार सदन को स्थगित करना पड़ा। सत्ताधारी दल के विधायकों ने जमकर हंगामा किया, जिसके बाद विरोधी पक्ष नेता अजित पवार ने हस्तक्षेप किया। उनके खेद व्यक्त करने के बाद सदन की कार्यवाही फिर शुरू हो हुई। विधानसभा में बुधवार को पूरक मांगों पर चर्चा के दौरान मुंबई की समस्याओं को लेकर भुजबल ने राज्य सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने मुंबई को सोने के अंडे देने वाली मुर्गी बताया। इसका सत्ता पक्ष के विधायक मनीषा चौधरी, विद्या ठाकुर, दिलीप लांडे, योगेश सागर, मंदा म्हात्रे सहित अन्य सदस्यों ने विरोध किया। इनका कहना था कि मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है। जी- 20 के आयोजन के लिए पूरे शहर को सजाया जा रहा है। ऐसे में मुंबई को मुर्गी कहना मुंबईकरों का अपमान है और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। मनीषा चौधरी ने मांग की कि भुजबल को इस मामले में माफी मांगनी चाहिए। इससे भुजबल नाराज हो गए और हाथ दिखाते हुए चौधरी को बैठ जाओ कहा। इससे बीजेपी विधायकों का पारा और भी चढ़ गया। इस बीच अजित पवार ने बीजेपी विधायकों की ओर इशारा करते हुए कहा कि भुजबल ने मुर्गी शब्द वापस ले लिया है। फिर भी बीजेपी के विधायक भुजबल के माफी मांगने पर अड़े रहे। बढ़ते हंगामे की वजह से सदन का कार्यवाही दो बार 10-10 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।
सदन की कार्यवाही फिर शुरू होने पर विधायक योगेश सागर ने भुजबल को संबोधित करते हुए कहा कि आप सरस्वती, सावरकर और संतों का अपमान करते हैं। इसी मुंबई ने आपको मेयर से लेकर सारे पद दिए हैं। आप वरिष्ठ हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप महिला सदस्य का अपमान करें। आपको माफी मांगनी चाहिए। भुजबल ने इस मांग का जवाब देते हुए कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा फुले, सावित्रीबाई फुले का अपमान किया, जब आप चुप क्यों रहे? भुजबल के इस वाक्य ने सत्ता पक्ष के गुस्से को और बढ़ा दिया। अजित पवार ने सभागृह के माहौल को शांत करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि भुजबल का इरादा किसी का अपमान करने का नहीं था। मुंबई सबकी है, मुंबई का अपमान कोई नहीं कर सकता। स्थानीय निकाय संस्था में हमने सबसे पहले 33 फीसदी आरक्षण देने का निर्णय लिया था। यह आरक्षण बाद में 50 फीसदी हमने किया। हमने हमेशा से महिलाओं का सम्मान किया, लेकिन यदि किसी की भावना आहत हुई है, तो मैं खेद व्यक्त करता हूं।