धर्मांतरण विरोधी कानून पर कर्नाटक में मचा सियासी बवाल
16 Jun 2023
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संवाददाता/in24 न्यूज़।
कर्नाटक में सरकार बदलने के साथ ही पूर्व भाजपा सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों को पलटने की कवायद तेजी से शुरू हो गई है। एक महीना बीतते ही कांग्रेस सरकार ने पूर्व की भाजपा सरकार बनाए गए धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करने की न सिर्फ पूरी योजना बना ली है बल्कि कर्नाटक कैबिनेट ने इस पर मुहर भी लगा दी है। जल्दी ही इस प्रस्ताव को विधानसभा में लाया जाएगा। हालांकि इस पर अब राजनीति भी शुरू हो गई है। पिछले साल भाजपा के नेतृत्व वाली बोम्मई सरकार ने कर्नाटक में धर्मांतरण विरोधी कानून लाई थी। तब कांग्रेस और जेडीएस ने भाजपा सरकार द्वारा लाए गए कानून का विरोध किया था। भाजपा सरकार ने विधानसभा से तो पिछले साल दिसंबर में ‘कर्नाटक प्रोटेक्शन ऑफ राइट टू फ्रीडम ऑफ रिलीजन बिल’ पारित करा लिया था, लेकिन विधान परिषद में उस वक्त बहुमत न होने की वजह से यह बिल अटक गया। इस वजह से सरकार को विधेयक को प्रभाव में लाने के लिए मई में अध्यादेश लाना पड़ा था। तत्कालीन गृह मंत्री ने तर्क दिया था कि राज्य में प्रलोभन देकर और जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाएं हो रही हैं। इन घटनाओं को रोकने के लिए ये कानून लाया गया है। उन्होंने यह भी कहा था कि यह विधेयक किसी की धार्मिक आजादी नहीं छीनता। कोई भी व्यक्ति अपने अनुसार धर्म चुन सकता है, लेकिन किसी दबाव अथवा प्रलोभन में नहीं।
पिछली सरकार के मुताबिक, यह अधिनियम धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा करता है। साथ ही गलत बयानी, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी भी धोखाधड़ी के माध्यम से एक धर्म से दूसरे धर्म में गैरकानूनी परिवर्तन पर रोक लगाने का प्रावधान करता है। इसके प्रावधानों का उल्लंघन संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है और इसमें सख्त सजा का भी प्रावधान है। इसके अंतर्गत 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ तीन से पांच साल की कैद की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा नाबालिगों, महिलाओं, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के लोगों के संबंध में अपराधियों को तीन से 10 साल की कैद और 50,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।
कर्नाटक में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस ने पिछली भाजपा सरकार की नीतियों, विधेयकों और धर्मांतरण विरोधी, पशु वध विरोधी और हिजाब प्रतिबंध कानूनों सहित कार्यकारी आदेशों पर फिर से विचार करने का ऐलान किया था। सरकार के मंत्री प्रियंक खड़गे ने 24 मई को इस बारे में ट्वीट कर जानकारी भी दी थी। अब सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली सरकार ने कहा कि वह आगामी विधानसभा सत्र में इस संबंध में एक विधेयक पेश करेगी। बता दें कि कर्नाटक विधानसभा का सत्र तीन जुलाई से शुरू होगा।