मणिपुर के वायरल वीडियो पर सांसद सुप्रिया सुले आक्रामक, कहा - 'बेटी बचेगी तभी तो पढ़ेगी'
25 Jul 2023
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ब्यूरो रिपोर्ट/in24न्यूज़/मुंबई
मणिपुर के वायरल वीडियो ने पूरे देश में कोहराम मचा दिया. दो महिलाओं को जिस प्रकार से निर्वस्त्र किया गया और जिस प्रकार से उनका निर्वस्त्र परेड कराया गया उससे न केवल देश भर की महिलाओं का सिर शर्म से झुक गया बल्कि देशभर की जनता में आक्रोश हैं. अब इस घटना को लेकर एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है. सांसद सुप्रिया सुले ने कहा है कि ये मत भूलिए कि 'बेटी बचेगी, तभी तो पढ़ेगी.' मणिपुर की घटना को लेकर एनसीपी की ओर से मुंबई में मौन रूप से विरोध प्रदर्शन किया गया. मणिपुर की घटना को लेकर सुप्रिया सुले ने एक ट्वीट भी किया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि लोकसभा में नियम 377 के तहत मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हिंसा का मुद्दा उठाया. सुप्रिया सुले ने कहा कि आरक्षण पूरे देश में संघर्ष का विषय बन चुका है, फिर चाहे वह महाराष्ट्र में रुके हुए स्थानीय निकाय चुनाव हों या मणिपुर में सांप्रदायिक हिंसा. उन्होंने कहा कि इसके पीछे की असल वजह आरक्षण ही है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जून महीने में मणिपुर में हिंसा में लगभग 142 लोगों की मौत हो गई. जुलाई महीना ख़त्म होने कीकगार पर है लेकिन इसके बावजूद हिंसा नहीं रुक रही है. करीब 54 हजार लोग विस्थापित हुए हैं और कई घर पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं, यहां स्थिति बेहद गंभीर हो चुकी है. सुप्रिया सुले यहीं नहीं रुकी उन्होंने आगे कहा कि दुनिया भर में देश का नाम रोशन करने वाली मुक्केबाज मैरी कॉम के राज्य में महिलाओं के खिलाफ हिंसा बेहद गंभीर मामला है. महिलाओं को गोली मारी जा रही है, उनके साथ बलात्कार किया जा रहा है.
दरअसल महिलाओं के कपड़े उतारने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मणिपुर सरकार को तत्काल एक्शन लेना पड़ा. सरकार ने इस वीडियो को ज्यादा फैलने से रोकने की भी कोशिश की. जांच एजेंसियों को केस दर्ज करने और आरोपियों को गिरफ्तार करने में 77 दिन लग गए. इस टकराव को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार ने वास्तव में क्या प्रयास किए हैं, यह बताने की जरूरत है. सरकार को उन इलाकों से महिलाओं की सुरक्षा के लिए उचित योजना बनाने की आवश्यकता है. जहां जातीय हिंसा भड़की है, वहां शांति स्थापित करने की भी जरूरत है. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि मणिपुर के पास निडर महिलाओं की विरासत है. उनके साथ खड़ा होना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है. किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि 'बेटी बचेगी,तभी तो पढ़ेगी'. एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने इस मुद्दे को एक बार हवा देकर सत्ता पक्ष में खलबली मचा दी है.