महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की आग बेकाबू

 04 Sep 2023  3103

संजय मिश्रा/in24 न्यूज़  

मराठा आरक्षण को लेकर पूरे महाराष्ट्र में आंदोलन का सिलसिला लगातार जारी है. मराठा आंदोलन की आग महाराष्ट्र के कई जिलों बेकाबू होती चली जा रही है. मुंबई समेत महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों में मराठा समाज के लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए हैं. आज मराठा क्रांति मोर्चा के कार्यकर्ताओ ने हिंगोली, औरंगाबाद, सतारा और नांदेड़ जिले में बंद का आवाहन किया, जिसका असर बाजार और सड़क ट्रांसपोर्ट पर भी पड़ने लगा है. गौर करने वाली बात यह है कि पूरे महाराष्ट्र में जिस तेज गति से और उग्रता के साथ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है, इसका केंद्र मुख्य तौर से महाराष्ट्र का जालना जिला माना जा रहा है, जहां लाठीचार्ज और हिंसा के बाद महाराष्ट्र पुलिस एक्ट की धारा 37(3) लागू की गई है, जिसमें बिना किसी वैध कारण के पांच या उससे ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर कानूनी कार्रवाई की जाती है.  महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के अंतर्गत आने वाले किनवट तहसील की स्थिति बेहद भयावह है, जहां सड़कों पर टायर जलाकर आंदोलनकारी अपनी भड़ास निकाल रहे हैं. यहां कायदा व सुव्यवस्था यह पूरी तरह से खराब हो चुकी है. चप्पे चप्पे पुलिस बल की तैनाती की गई है, लेकिन आंदोलनकारी किसी कीमत पर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. यहां तक कि पेन गंगा नदी में अर्धनग्न अवस्था में प्रदर्शनकारियों ने न सिर्फ आंदोलन किया बल्कि सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने इसे मानने से साफ इनकार कर दिया और नदी में उतर कर अपना आंदोलन जारी रखा. मराठा समाज के प्रदर्शनकारी जालना में हुए लाठीचार्ज मामले में उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. इसी बीच बीते दिन सरकार और आंदोलनकारियों के बीच बैठक हुई, जो बेनतीजा साबित हुई. महाराष्ट्र सरकार के मंत्री गिरीश महाजन ने आंदोलनकारी मनोज जारंगे से मुलाकात कर उनसे आंदोलन वापस लेने की मांग की थी, लेकिन इसका कोई हल नहीं निकल पाया. दरअसल ओबीसी आरक्षण की मांग कर रहे मराठा समाज ने जालना लाठीचार्ज के बाद अपना प्रदर्शन और तेज कर दिया है. दरअसल मराठा समाज की लंबे समय से यह मांग रही है कि आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन की वजह से समाज को आरक्षण की जरूरत है. आपको बता दें कि मराठा आरक्षण की मांग सबसे पहले साल 2004 में विलासराव देशमुख सरकार के सामने आई थी, इसके बाद मौजूदा कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने नारायण राणे की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था, और साल 2014 में नारायण राणे समिति की रिपोर्ट के आधार पर मराठा समाज को सरकार ने 16 प्रतिशत आरक्षण दे दिया था, इसके बाद यह मामला बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचा, जहां न्यायपालिका ने इस आरक्षण पर रोक लगा दी. आपको बता दें कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षा में प्रदान किए गए आरक्षण को मई 2021 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने अन्य आधारों के अलावा कुल आरक्षण का 50 प्रतिशत की ऊपरी सीमा का हवाला देते हुए इसे तत्काल रद्द कर दिया. आज एक बार फिर मराठा आरक्षण को लेकर पूरे महाराष्ट्र में स्थिति बेकाबू होती चली जा रही है. शुक्रवार को जालना के सराटी गांव में आरक्षण की मांग को लेकर मराठा समुदाय का आंदोलन देखते ही देखते हिंसक हो गया, जिसमें दर्जनों पुलिसकर्मी समेत कई लोग घायल हो गए. पुलिस ने हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े. अब तक पुलिस ने 360 लोगों से ज्यादा आंदोलनकारियों को हिरासत में लिया है, लेकिन आंदोलन की आग थमने का नाम नहीं ले रही.