न्यूज़ीलैंड में मज़दूरों की भारी किल्ल्त

 10 Aug 2021  640

संवाददाता/in24 न्यूज़.
मज़दूरों के बिना विकास पर सबसे बड़ा असर पड़ता है. आज की तरीक में न्यूज़ीलैंड मजदूरों की किल्ल्त से बुरी तरह जूझ रहा है. न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने इस सप्ताह देश की सीमाओं को फिर से खोलने का फैसला किया है. देश को बड़ी संख्या में मजदूरों की कमी का सामना करना पड़ रहा था. नीति निर्माताओं को डर है कि इससे महंगाई बढ़ सकती है. इससे पहले मार्च 2020 में सख्त लॉकडाउन लागू करने और न्यूजीलैंड की अंतरराष्ट्रीय सीमा को बंद करने के लिए अर्डर्न की दुनियाभर में सराहना कि गई थी. हालांकि रणनीति अब एक अप्रवासी वर्कफोर्स पर निर्भर अर्थव्यवस्था पर दबाव डाल रही है, जिससे महंगाई बढ़ रही है और कम उत्पादन हो रहा है. डेयरी, बागवानी, हाउसिंग, सर्विसेस, स्वास्थ्य और व्यापक सार्वजनिक क्षेत्र सभी ने कर्मचारियों की भारी कमी की सूचना दी है और सरकार से सीमा खोलने का आह्वान किया है. सोमवार को लगभग 1,500 अस्पताल दाइयों ने अधिक काम का हवाला देते हुए नौकरी छोड़ दी. कर्मचारियों की कमी के बीच बेहतर वेतन और काम करने की स्थिति की मांग को लेकर जून के बाद दूसरी बार इस महीने के अंत में 30,000 से अधिक नर्स हड़ताल पर हैं. न्यूजीलैंड नर्स संगठन के औद्योगिक सेवा प्रबंधक ग्लेंडा अलेक्जेंडर ने कहा कि हम अपने स्टाफ की जरूरतों को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग्य नर्सों पर भरोसा करते हैं, लेकिन सीमाएं बंद होने के कारण हमें कोई नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि कीवी नर्सिंग में नहीं आ रहे हैं क्योंकि उन्हें काम का बोझ और कम वेतन दिया जाता है. हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के भी यही हाल हैं. रसोइयों और अन्य कुशल श्रमिकों की भारी कमी की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए दो महीने के अभियान के तहत पिछले महीने लगभग 2,000 भोजनालयों ने सेवा बंद कर दी. पीएम अर्डर्न ने संकेत दिया है कि जब वह गुरुवार को सार्वजनिक स्वास्थ्य और सीमा नियंत्रण के लिए अपनी सरकार की छह महीने की योजना की रूपरेखा तैयार करेंगी तो वह इस पर ध्यान देंगी. न्यूजीलैंड ने लगभग 2,500 कोरोना के मामले दर्ज किए हैं, जिनमें 26 मौतें शामिल हैं, जो दुनिया में सबसे कम है. पिछले अक्टूबर में चुनाव में अर्डर्न ने धमाकेदार जीत हासिल की थी. बहरहाल मज़दूरों के मुद्दे पर न्यूज़ीलैंड में हालत में खस्ता हो रहे हैं.