केरल के 14 लोगों के तार काबुल धमाकों से जुड़े, दो पाकिस्तानी भी गिरफ्तार
28 Aug 2021
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संवाददाता/in24 न्यूज़।
काबुल में एयरपोर्ट पर धमाका करने वाले आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासन प्रोविंस में केरल के 14 लोग शामिल हैं। कहा जा रहा है कि इन लोगों को तालिबान ने बगराम जेल से रिहा किया था। इसके अलावा तुर्कमेनिस्तान के दूतावास पर हमले की कोशिश कर रहे दो पाकिस्तानियों के भी हिरासत में होने की खबर है। काबुल एयरपोर्ट पर हुए धमाके में 13 अमेरिकी सैनिकों समेत 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। खबरों के मुताबिक़ केरल के 14 रहवासी अफगानिस्तान में आइएसकेपी का हिस्सा बने हैं। यह समझा जा रहा है कि इन 14 केरलवासियों में से 13 ने अपने घर से संपर्क साधा था, जबकि 13 अभी भी फरार हैं। 2014 में मोसुल में कथित इस्लामिक स्टेट का कब्जा होने के बाद मलप्पुरम, कासरगोड़ और कन्नूर जिलों से एक समूह जिहादियों में शामिल होने के लिए भारत छोड़कर भागा था। इनमें से कुछ परिवार आइएसकेपी के तहत अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में रहने लगे थे। खबर के मुताबिक, भारत इस बात को लेकर चिंतित है कि तालिबान और उसके साथी इन कट्टरपंथी केरलवासियों का इस्तेमाल कर भारत की छवि को नुकसान पहुंचाएंगे। साथ ही ये खबरें भी आ रही हैं कि तुर्कमेनिस्तान दूतावास के बाहर धमाका करने की कोशिश कर रहे दो पाकिस्तानियों को हिरासत में लिया गया है। हालांकि, तालिबान ने अभी तक इस मामले पर चुप्पी नहीं तोड़ी है, लेकिन खुफिया रिपोर्ट्स दिखाती हैं कि 26 अगस्त को काबुल एयरपोर्ट पर धमाका होने के बाद ही इन पाकिस्तानी नागरिकों से एलईडी बरामद हुआ था।अफगानिस्तान से आ रही खरों के मुताबिक़ काबुल हक्कानी नेटवर्क के नियंत्रण में है, क्योंकि पाकिस्तान की सीमा से लगे नंगरहार प्रांत में जनजाति प्रभाव के साथ जादरान पश्तून जलालाबाद-काबुल में प्रभावी होते हैं। एचटी की रिपोर्ट के अनुसार आइएसकेपी पहले भी नंगरहार प्रांत में हक्कानी नेटवर्क के साथ काम कर चुका है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क की मदद के साथ विश्व स्तर पर वैधता हासिल करने के मकसद से तालिबान पर 12 सदस्यीय समिति बनाने का दबाव डाल रहा है, लेकिन मुल्ला याकूब के समर्थकों का गुट इसके लिए इच्छुक नहीं है। वहीं, अफगानिस्तान के पड़ोसी देश तालिबान के साथ अपने किसी संबंधों पर विचार करने से पहले 31 अगस्त को अमेरिका बाहर जाने का इंतजार कर रहे हैं। बता दें कि अफगानिस्तान की हिंसा ने दुनिया भर को चिंतित करने का काम किया है।