भूख से परिवार के लिए पिता ने बेची चार साल की बेटी
10 Sep 2021
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संवाददाता/in24 न्यूज़.
भूख से लड़ने के लिए इंसान न जाने किस तरह मजबूर हो जाता है। कहते हैं कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं। मां-बाप अपने बच्चे की खुशी के लिए अपने आप तक को बेच देते हैं। लेकिन अफगानिस्तान में इसके विपरीत मामला सामने आया है। जी हां सुनकर शायद आपका पत्थर दिल भी पिघल जाए मगर यह सच है। ये कहानी है पूर्व पुलिस कर्मी मीर नाजिर की जो अपने परिवार को भूख से बचाने के लिए अपनी लाड़ली को बेचने के लिए तैयार हो गए हैं। एक ब्रिटिश अखबार की एक खबर के मुताबिक नाजिर बस 580 डॉलर यानी भारतीय रुपयों में करीब 43,000 रुपए के लिए अपनी बेटी को बेचने के लिए तैयार हैं। उनके परिवार में सात लोग हैं और वो इन सातों को भूख से बचाने के लिए मजबूर हैं। 4 साल की उनकी बेटी साफिया घर में सबसे छोटी है और नाजिर को उम्मीद है कि ऐसा करने से उनकी गुड़िया की जिंदगी भी बच सकेगी। नाजिर ने बताया है कि वो अपनी बच्ची को बेचने के लिए बातचीत भी कर रहे हैं। नाजिर 15 अगस्त के पहले तक अफगान पुलिस में एक छोटे से कर्मचारी थे। तालिबान ने देश पर कब्जा किया और उनकी नौकरी चली गई। सारी सेविंग्स खत्म हो गई हैं और अब परिवार का पेट कैसे भरें, ये बड़ा सवाल हो गया है। घर का किराया भी चुकाना है और नाजिर को बेटी को बेचने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नजर नहीं आ रहा है। 38 साल के नाजिर ने बताया कि मैं अपनी बेटी को बेचने की जगह मरना पसंद करूंगा। मगर मेरी मौत से मेरे परिवार के किसी सदस्य का कोई भला नहीं होगा। फिर मेरे बाकी के बच्चों को कौन खिलाएगा। आंखों में आंसू लिए नाजिर ने आगे कहा कि ये मेरी पसंद या मेरे पास मौजूद विकल्प का मसला नहीं है बल्कि यह निराशा और बेचैनी के बारे में है। एक ब्रिटिश अखबार के रिपोर्टर ने नाजिर की स्टोरी को कवर किया है। उससे बात करते हुए नाजिर ने कहा कि तालिबान की वजह से पुलिस की नौकरी चली गई। अब परिवार का पेट कैसे पलेगा, खाना कहां से आएगा, ये सबसे बड़ा सवाल है। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था तबाह हो चुकी है और कहीं से कोई उम्मीद नहीं है। मीर ने बताया कि एक दुकानदार मिला। उसे बाप बनने का सुख नहीं मिला। उसने मुझे ऑफर दिया कि वो मेरी साफिया को खरीदना चाहता है। वो उसकी दुकान पर काम भी करेगी। हो सकता है, आगे आने वाले समय में उसकी तकदीर संवर जाए। नाजिर के मुताबिक वोअब पुलिसकर्मी से हम्माल और मजदूर बन गए हैं। दुकानदार ने हालांकि पहले 20 हजार अफगानीस यानी करीब 17 हजार रुपए में बेटी को खरीदने की इच्छा जताई थी। फिर मोल-तोल करके 50 हजार अफगानीस यानी करीब 43 हजार रुपए पर बात फिक्स हुई। बता दें कि भूख से तड़पते परिवार को कोई मुखिया नहीं देख सकता।