काबुल में भुखमरी से बचने के लिए मां-बाप को बेच रहे मासूम

 20 Oct 2021  577

संवाददाता/in24 न्यूज़।  
पापी पेट का सवाल जब खड़ा होता है तो इंसान किसी भी हद से गुज़र जाता है। आपने कभी किसी के देश के ऐसे हालात देखें है जहां भूख के लिए मां-बाप को बच्चें तक बेचने पड़े! जहां एक-एक दाने के लिए छोटे-छोटे बच्चों को तरसना पड़े। जहां कूड़े के ढेर में बच्चे अपनी भूख को मिटाने के लिए झांकें। लेकिन अफगानिस्तान के ये हालात आपको भी हिलाकर रख देंगे। तालिबान की वापसी के बाद से ही अफगानिस्‍तान में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। दहशतगर्द एक तरफ खूनी खेल खेल रहे है वहीं दूसरी तरफ अफगानिस्तान भूखमरी, महंगाई और बेरोजगारी की तरफ बढ़ रहा है। तालिबान की क्रूरता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि वहां हेरात में एक घर की सफाई का काम करने वाली बेसहारा मां पर 40 हज़ार रुपए का कर्ज था। उसने एक व्यक्ति से पैसे परिवार के भरण-पोषण के लिए पैसे लिए थे। लेकिन सलेहा नाम की इस महिला को कर्जदाता ने कहा कि अगर वह अपनी तीन साल की बेटी को उसे बेच देती है तो वह उसके कर्ज को माफ कर देगा। वॉल स्ट्रीट जरनल की रिपोर्ट के मुताबिक इस इलाके के आसपास के लोगों का यही कहना है कि वह अब तक का सबसे बुरा दौर देख रहे है। उन्हें अपनी भूख मिटाने के लिए घर का सामान भी बेचना पड़ रहा है। वह कुछ पैसों के लिए घर में बड़े कीमती फ्रिज, टीवी को बेचने के लिए बाजारों में जा रहे हैं। जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है, देश की अर्थव्यवस्था चरमराने लगी है। अफगानिस्तान में रुपए की कीमत डॉलर के मुकाबले बुरी तरह से गिर चुकी है और देश में नकदी का भयानक संकट खड़ा हो चुका है। महंगाई के कारण आम जनता में भुखमरी के हालात पैदा हो गए हैं। कई रिपोर्ट्स तो ये भी दावा कर रही हैं कि आने वाले दिनों में वहां खाने का भारी संकट पैदा हो सकता है। जिससे लाखों लोगों की भूख के कारण ही मौत भी हो सकती है।  बता दें कि अगस्त में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर पूरे देश में संकट पैदा कर दिया था। वहां एक बार फिर तालिबान शासन से बचने के लिए लोग हवाई जहाज के ऊपर चढ़कर देश से भाग रहे थे। इस दौरान कई लोगों को मौत का शिकार होना पड़ा था। फिलहाल अफगानिस्तान की लुढ़क रही अर्थव्यवस्था को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने दुनियाभर के देशों से गुजारिश की कि वे अफगान अर्थव्यवस्था में कैश का फ्लो बढ़ाए, ताकि अर्थव्यवस्था दोबारा खड़ी हो सके और भुखमरी से तबाह लोगों की ज़िंदगी थोड़ी बेहतर हो सके।