अमेरिका को पछाड़कर चीन बना अब दुनिया का सबसे अमीर देश
16 Nov 2021
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संवाददाता/in24 न्यूज़.
अमीरी के मामले में अव्वल रहा अमेरिका चीन से पिछड़ गया है। इस बार चीन ने अमेरिका को पछाड़कर दुनिया के सबसे अमीर देश का खिताब हासिल किया है। बता दें कि पिछले 20 सालों में दुनिया की संपत्ति तीन गुना हो गई है। इन सबके बीच सबसे बड़ी और चौंकाने वाली खबर ये है कि इन संपत्तियों में चीन की हिस्सेदारी एक-तिहाई है। दुनियाभर के देशों की बैलेंसशीट पर नजर रखने वाली मैनेजमेंट कंसल्टेंट मैकिन्ज़ी एंड कंपनी की अनुसंधान शाखा की रिपोर्ट के मुताबिक चीन अब दुनिया का सबसे अमीर देश बन चुका है। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि दुनिया में सबसे ज्यादा संपत्ति वाले चीन और दूसरी नंबर पर मौजूद अमेरिका के धन का बहुत बड़ा हिस्सा कुछ अमीर लोगों तक ही सीमित है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन दोनों अमीर देशों में दस प्रतिशत आबादी के पास सबसे ज्यादा धन है। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि इन देशों में अमीरों की तादाद तेजी से बढ़ रही है, जिसके कारण अमीर और गरीब देशों के बीच बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2000 में दुनिया की कुल संपत्ति 156 खरब डॉलर थी जो साल 2020 यानी की 20 साल के बाद बढ़कर 514 खरब डॉलर हो गई। मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट के एक सहयोगी जान मिशके ने कहा दुनिया के कई देश तेजी से अमीर हुए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक कुल संपत्ति का 68 फीसदी हिस्सा अचल संपत्ति के रूप में मौजूद है, जबकि बाकी की संपत्ति में बुनियादी ढांचा, मशीनरी और उपकरण जैसी चीजें शामिल हैं। रिपोर्ट में सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात चीन को लेकर सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2000 में चीन की कुल संपत्ति 7 खरब डॉलर थी जो साल 2020 में तेजी से बढ़कर 120 खरब डॉलर पहुंच गई है। गौरतलब है कि चीन को साल 2000 से पहले ही विश्व व्यापार संगठन में शामिल कर लिया गया था। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीन की अर्थव्यवस्था ने तब से अब तक कितनी तेजी से वृद्धि की है। 20 साल के समय में दुनिया ने जितनी संपत्ति हासिल की है उसका करीब एक तिहाई हिस्सा चीन के पास है। वहीं रिपोर्ट में दूसरे नंबर पर मौजूद अमेरिका की संपत्ति 20 सालों में दोगुनी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2000 में अमेरिकी संपत्ति 90 खरब डॉलर थी। रिपोर्ट का कहना है कि यहां प्रॉपर्टी के दामों में बहुत ज्यादा वृद्धि न होने से अमेरिकी की संपत्ति चीन के मुकाबले कम रही और वह अपना नंबर एक का स्थान गंवा बैठा और चीन ने उसकी जगह ले ली।