रोमानिया बॉर्डर पर फंसे हैं हजारों छात्र, रेस्टोरेंट वालों ने लगाया 'नो इंडियंस अलाउड' का बोर्ड

 28 Feb 2022  579
संवाददाता/ in24 न्यूज़
यूक्रेन (ukraine) से लगातार भारतीय छात्रों के साथ दुर्व्यवहार होने की खबर सामने आ रही है. पहले एक वीडियो सामने आया था, जिसमें पुलिस वाले छात्रों को मारते हुए नजर आ रहे हैं. इसी बीच एक और खबर सामने आ रही हैं, जिसे सुन कर छात्रों के परिजन चिंतित हो गए हैं. खबर है कि रोमानिया बॉर्डर (romania border) पर इकट्ठा हुए छात्रों के पास न रात गुजारने की कोई व्यवस्था है, न खाने-पीने का कोई इंतजाम है। सबसे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि बॉर्डर के आसपास के जो रेस्टोरेंट हैं, उन्होंने अपने यहां 'नो इंडियंस अलाउड' का बोर्ड लगा रखा है। कई छात्र बदइंतजामी का वीडियो बन कर सोशल मीडिया में पोस्ट कर रहे हैं, बावजूद इसके सरकार की तरफ से कोई पर्याप्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक झांसी के रहने वाले राजकीय महाविद्यालय में प्राचार्य डॉ. एसएस सिंह का बेटा अखिल भी उन हजारों छात्रों में से एक है जो यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए गया था और वहां फंस गया. अखिल भी रोमानिया बॉर्डर पर फंसा हुआ है। अखिल ने बातचीत में अपने परिजनों को बताया कि उनका लगभग डेढ़ सौ छात्रों का एक ग्रुप बस से रात भर का सफर तय करके रोमेनिया पहुंचा। बॉर्डर तक का लगभग 10 किमी का सफर इन लोगों ने पैदल तय किया। यहां सुबह सात बजे बॉर्डर खुला तो केवल 60-70 बच्चे अंदर किए गए और फिर से बॉर्डर बंद हो गया।

अखिल ने आगे कहा कि, पहले उन्हें यह बताया गया कि शाम को चार-पांच बजे दोबारा खुलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि कोई रोस्टर या शेड्यूल तय नहीं है कि कब कितने बच्चे बॉर्डर से पार किए जाएंगे। अब भी लगभग छह हजार बच्चे फंसे हुए हैं। अखिल के अनुसार, खाने के लिए बिस्किट या थोड़े-बहुत पैक्ड फूड का इंतजाम तो इन लोगों के पास है लेकिन खाने की कोई व्यवस्था नहीं है। सबसे खराब बात तो यह है कि अगर कोई भारतीय वहां रेस्टोरेंट में जाकर खाना चाहे तो उसका स्वागत 'नो इंडियंस अलाउड' के साइनबोर्ड से हो रहा है।

बता दें कि रोमानिया में दिन का तापमान 2 से 3 डिग्री होती है और रात में तापमान माइनस तक पहुंच जाता है। ऐसे में बॉर्डर के आसपास न तो टेंट आदि की कोई व्यवस्था है और न कोई शेल्टर होम जहां बच्चे रात गुजार सकें। यही नहीं ठिठुरती रात में खुले आसमान के नीचे रहने के अलावा इनके पास कोई विकल्प नहीं है। इसके अलावा अखिल ने बताया कि खाने के लिए बिस्किट या थोड़े-बहुत पैक्ड फूड का इंतजाम तो इन लोगों के पास है लेकिन खाने की कोई व्यवस्था नहीं है। सबसे खराब बात तो यह है कि अगर कोई भारतीय वहां रेस्टोरेंट में जाकर खाना चाहे तो उसका स्वागत 'नो इंडियंस अलाउड' के साइनबोर्ड से हो रहा है।