संवाददाता/ in24 न्यूज़
अमेरिका के असिस्टेंट स्टेट सेक्रटरी डोनल्ड लू ने भारत द्वारा यूक्रेन को मानवीय मदद दिए जाने पर कहा कि, 'भारत यूक्रेन के लिए मानवीय मदद भेजेगी. यह बात महत्वपूर्ण बात है. यूक्रेन ने भारत से मदद का अनुरोध किया है और भारत यूक्रेन को ये मदद भेज रहा है.' उन्होंने आगे कहा कि, 'दूसरी बात, भारत ने संयुक्त राष्ट्र के एक सत्र में कहा कि सभी देशों को दूसरे देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर का पालन करना चाहिए. यह रूस की आलोचना नहीं थी, बल्कि रूस द्वारा संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उल्लंघन और यूक्रेन की संप्रभुता के उल्लंघन के संदर्भ में दिया गया स्पष्ट संदेश था.'
उन्होंने आगे कहा कि, 'यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत ने अपनी स्थिति को स्पष्ट करने की कोशिश करते समय दो चीजों पर ध्यान केंद्रित किया है. एक यह कि वो इस संघर्ष का राजनयिक समाधान चाहता है. और दूसरी बात जिस पर वे जोर दे रहा है, वो ये है कि भारत में अभी भी यूक्रेन में 18 हजार छात्र हैं. भारत छात्रों की सुरक्षा के लिए यूक्रेन और रूस दोनों सरकारों के साथ काम करने की कोशिश कर रहा है.'
दरअसल संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में यूक्रेन पर रूसी हमले के खिलाफ एक प्रस्ताव लाया गया जहां भारत ने पिछली बार की तरह ही वोटिंग से खुद को दूर रखा. डोनल्ड लू इसी मुद्दे पर बोल रहे थे.
भारत के इस रुख पर अमेरिका ने कहा है कि वो भारत को रूसी आक्रमण की आलोचना करने के लिए मना रहा है लेकिन अमेरिका के अब तक के ऐसे सभी प्रयास असफल रहे हैं. डोनल्ड लू ने विदेश संबंध समिति के सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि यूक्रेन पर रूस की आक्रामकता के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासभा में मतदान करने के लिए अमेरिका भारत को मनाने का काम कर रहा है, लेकिन भारत ने कई बार हुई वोटिंग से खुद को दूर रखा है.
लू ने आगे कहा, 'मैं कहना चाहता हूं कि हम सभी भारत से स्पष्ट रुख अपनाने, रूस की कार्रवाई के खिलाफ स्टैंड लेने का आग्रह करने के लिए काम कर रहे हैं. लेकिन हमने अब तक क्या देखा है? हमने कई बार भारत को वोटिंग से परहेज करते ही देखा है.'
भारत ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के एक सत्र में बिना किसी देश का नाम लिए कहा था कि सभी देशों को दूसरे देशों की संप्रभुता का सम्मान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर का पालन करना चाहिए.
बता दें कि बुधवार को 193 सदस्यों वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के खिलाफ एक निंदा प्रस्ताव लाया गया था. इस प्रस्ताव को 141 देशों का समर्थन मिला लेकिन भारत एक बार फिर से वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रहा.