अमेरिका में नौकरी तलाश रहे भारतीयों की बढ़ी मुश्किलें

 23 Nov 2022  618

ब्यूरो रिपोर्ट/in 24न्यूज़

 

भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में में नौकरी करते हैं फिर वह चाहे दुनिया का कोई भी देश हो भारतीय मूल के लोगों की मौजूदगी हर जगह है. लेकिन इन दिनों अमेरिका (America) में बड़ी संख्या में कर्मचारियों को नौकरी से हटाए जाने की कार्रवाई हो रही है. इसमें सबसे ज्यादा भारतीय लोग (Indian People) प्रभावित हो रहे हैं. अमेरिका में अस्थाई वीजा पर रह रहे कर्मचारियों के लिए दूसरी नौकरी ढूंढ़ने के लिए बेहद कम समय बाकी रह गया है. एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि ऐसे लोग नई नौकरी तलाशने में जल्द सफल नहीं हुए तो उन्हें अमेरिका छोड़ना पड़ सकता है. उधर, उन्हें प्रायोजित करने वाली कंपनियां भी इस संबंध में सही मार्गदर्शन नहीं दे पा रही हैं, जबकि टेक इंडस्ट्री लंबे समय तक अपने कर्मियों की जरूरत पूरी करने के लिए कंप्यूटर इंजीनियरिंग क्षेत्र के विशेषज्ञों के लिए एच-1बी वीजा कार्यक्रम पर निर्भर रही हैं. इस तरह, अमेरिकी ग्रीन कार्ड के लिए 195 साल के लंबे इंतजार के बीच इन छंटनियों से सबसे अधिक भारतीय मूल के लोग प्रभावित हुए हैं, जो कई सालों से अमेरिका में रह रहे हैं. ब्लूमबर्ग ने अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा के आंकड़ों के आधार पर आकलन किया है कि अमेजन, लिफ्ट, मेटा, सेल्सफोर्स, स्ट्राइप और ट्विटर ने पिछले तीन सालों में कम से कम 45 हजार एच-1बी कर्मियों को प्रायोजित किया है. मेटा और ट्विटर के कर्मचारियों द्वारा कंपाइल की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, इन दो कंपनियों में हुई ताजा छंटनियों में कम से कम 350 प्रवासी प्रभावित हुए हैं.  एच-1बी वीजाधारक अमेरिका में कानूनी तौर पर सिर्फ दो माह तक ही बेरोजगार रह सकता है जबकि कई वीजाधारक अमेरिका में कई वर्षों से स्थायी नागरिकता के इंतजार में रह रहे हैं. लेकिन अब उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है क्योंकि उन्हें अमेरिकी प्रतिस्पर्धात्मक श्रम बाजार में हजारों हटाए गए कर्मचारियों के साथ नौकरी ढूंढनी पड़ रही है. यदि दो माह में वे नौकरी नहीं ढूंढ पाए तो उनके अमेरिका में रहने का कोई कारण नहीं रह जाएगा, जबकि कुछ भारतीय कर्जदार हैं, कुछ के पास छात्र ऋण है और कुछ के बच्चे स्कूल में हैं.

      यह सबकुछ ऐसे समय में हुआ है जब नौकरी देने वाली बड़ी कंपनियों ने नए कर्मचारियों की भर्ती बंद कर रखी है और अमेरिका में इन दिनों क्रिसमस के चलते अभी से छुट्टियों का सत्र चल रहा है. यहां छुट्टी सत्र में वैसे भी नई भर्तियां भी धीमी हो जाती हैं.  नौकरी ढूंढने वाले अब बेबसी में अपने प्रोफेशनल नेटवर्क की ओर रुख कर रहे हैं और कुछ ने लिंक्डइन पर अपील की है. उन्हें जल्द से जल्द एक ऐसी नई कंपनी ढूंढनी होगी, जो उन्हें नौकरी देकर उनका वीजा प्रायोजित कर सके. हाल ही में नौकरी से हटाए एक दर्जन से ज्यादा कामगारों से ब्लूमबर्ग ने चर्चा की. सभी ने पुरानी कंपनी को नाराज करने या अपनी नौकरी की तलाश को खतरे में डालने से बचने के लिए नाम न छापने का आग्रह करते हुए बताया कि ऐसे हालात की उन्होंने कल्पना नहीं की थी कि एक दिन सब कुछ पैक करके देश छोड़ने को कहा जाएगा. फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि विदेशों में नौकरी कर रहे भारतीयों की स्थिति ठीक नहीं है.