ग्रेटर नेपाल के नक्शे में नेपाल ने किया बिहार और यूपी पर दावा
09 Jun 2023
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संवाददाता/in24 न्यूज़.
भारत के साथ पड़ोसी देश नेपाल (Nepal) ने एक ऐसा कारनामा किया है जिससे सियासी बवाल मच गया है। दिल्ली के नए संसद भवन में पुराने अखंड भारत (United India) से जुड़े हुए एक भित्तिचित्र लगाए गए, तब से पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश हैरान है। हालांकि यह भित्तिचित्र केवल एक प्राचीन सांस्कृतिक प्रतीक के लिए लगाए गए हैं और इसमें राजनीतिक मतलब नहीं है। यह देश का राजनीतिक नक्शा भी नहीं है। लेकिन नेपाल से लेकर बांग्लादेश में इस पर बवाल चल रहा है। दोनों देशों के विपक्ष सरकार से इस मामले में सवाल कर रहा है और सरकार को भी परेशान कर रहा है। अब नेपाल काठमांडू के एक मेयर बालेन्द्र शाह ने अपने दफ्तर में ग्रेटर नेपाल का एक नक्शा लगाया है जिसमे भारत के उन क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है जो अभी बिहार और यूपी के इलाके कहलाते हैं। कह सकते हैं कि इस नक़्शे के जरिये नेपाल बिहार और यूपी पर दावा कर रहा है। नेपाल में जारी इस ग्रेटर नेपाल के नक़्शे को लेकर नेपाली राजनीति में तूफ़ान आया हुआ है। और अब इस नक़्शे के समर्थन में सभी विपक्ष खड़े हो गए हैं। कह सकते हैं कि संसद में लगे भित्तिचित्र के जवाब में नेपाल का यह ग्रेटर नेपाल वाला नक्शा जवाब माना जा रहा है।नेपाल के संसद में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के महासचिव गगन थापा ने कहा कि देश को ग्रेटर नेपाल का नक्शा भी आधिकारिक तौर पर प्रकाशित करना चाहिए। यदि कोई देश सांस्कृतिक मानचित्र प्रकाशित करता है तो नेपाल के पास ग्रेटर नेपाल का नक्शा प्रकाशित करने और उस पर विचार करने का अधिकार भी है। यदि नेपाल नए नक्शे को प्रकाशित करने के बारे में सोचता है, तो भारत को उस पर आपत्ति नहीं करनी चाहिए। बल्कि उसे इसे स्वीकार करना चाहिए। बता दें कि मेयर शाह के कार्यालय में ग्रेटर नेपाल मानचित्र में पूर्वी तीस्ता से लेकर पश्चिम कांगड़ा तक के क्षेत्र शामिल हैं जो वर्तमान में भारतीय क्षेत्र हैं। अब भी मांग की जा रही है कि भारत को वह जमीन नेपाल को वापस कर देनी चाहिए। नेपाल के राष्ट्रवादी कार्यकर्ता फणींद्र नेपाल लंबे समय से अखंड नेपाल के लिए प्रचार कर रहे हैं। नेपाल में उठे इस नई राजनीति पर हालांकि नेपाली पीएम प्रचंड ने लोगों को जवाब भी दिया है। उन्होंने कहा है कि उनकी हालिया भारत यात्रा के दौरान इस मुद्दे को उठाया गया था। उन्होंने कहा कि यह एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा कि हमने नए भारतीय नक्शे का मुद्दा उठाया, जिसे संसद में रखा गया है। हमने एक विस्तृत अध्ययन नहीं किया है, लेकिन जैसा कि मीडिया में बताया गया है। हमने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है, लेकिन इसके जवाब में भारतीय पक्ष ने कहा कि यह एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मानचित्र था न कि राजनीतिक। इसे राजनीतिक तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए। बता दें, एक समय नेपाल का भूभाग पूर्व में तीस्ता से लेकर पश्चिम में सतलज तक फैला हुआ था। हालांकि, अंग्रेजों के साथ युद्ध में नेपाल ने अपनी भूमि का एक बड़ा हिस्सा खो दिया था। युद्ध के बाद मेची से तीस्ता और महाकाली से सतलुज तक के क्षेत्रों को स्थायी रूप से भारत में मिला लिया गया था। नेपाल और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच 4 मार्च 1816 को सुगौली संधि पर हस्ताक्षर किए गए, जिसने नेपाल के क्षेत्र को मेची-महाकाली तक कम कर दिया। फिलहाल नेपाल के साथ कालापानी, लिपु लेख और लिम्पियाधुरा के क्षेत्रों में सीमा विवाद है. ये वर्तमान में भारतीय क्षेत्र के अंतर्गत हैं, लेकिन नेपाल भी इन पर दावा करता है। भारतीय दावों के जवाब में नेपाल सरकार ने 2020 में अपने के हिस्से के रूप में क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था। अब देखना होगा कि नेपाल को भारत किस तरह जवाब देता है!