कोरोना के बाद भूकंप का बढ़ सकता है ख़तरा
18 May 2020
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संवाददाता/in24 न्यूज़.
दुनिया भर को कोरोना वायरस ने महामारी के खतरे से घेर रखा है. कोरोना के बाद एक नई मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है. पर्यावरणविदों का कहना है कि कोरोना के बाद पृथ्वी पर कई अन्य प्राकृतिक आपदाएं तबाही मचा सकती है. कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के चलते पर्यावरण में उत्सर्जित होने वाली तमाम हानिकारक गैसों के उत्सर्जन में कमी जरूर आई है और इससे पर्यावरण को फायदा हुआ है. लेकिन सूरज के पृथ्वी से दूर जाने से यानी लॉकडाउन में जाने के कारण धरती पर कई आपदाओं का खतरा बढ़ गया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि सूरज के लॉकडाउन में होने की वजह से पृथ्वी के कई हिस्सों में पहले की तुलना में अधिक सर्दी पड़ सकती है. इसके अलावा कई स्थानों पर भूकंप भी आ सकते हैं. जिसका नकारात्मक प्रभाव फसलों पर भी पड़ने की संभावना है. ब्रिटेन की न्यू वेबसाइट 'द सन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सूरज अभी सन मिनिमम की स्थिति में है. सन मिनिमम का मतलब उस स्थिति से होता है जिससे सूरज की सतह पर होने वाली एक्टिविटी में भारी कमी आई है. विशेषज्ञों का कहना है कि हम सूरज के सबसे रिसेशन के दौर में प्रवेश कर रहा है, जहां सूरज की सतह पर सन स्पॉट घटते जा रहे हैं. एस्टट्रोनॉमर डॉ. टोनी फिलिप्स का कहना है कि सोलर मिनिमम शुरू हो गया है और यह काफी गहरा है. सूरज की सतह पर सन स्पॉट बनने बंद हो गए हैं और सूरज का मेग्नेटिक फील्ड कमजोर हुआ है, जिस वजह से अतिरिक्त कॉस्मिक किरणों सोलर सिस्टम में आ रही हैं. डॉ. टोनी फिलिप्स का कहना है कि अतिरिक्त कॉस्मिक किरणों के कारण एस्ट्रॉनॉट्स और पोलर एयर ट्रेवलर के स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो सकता है. वहीं नासा के वैज्ञानिकों को इस बात का डर है कि सोलर मिनिमम के कारण 1790 से 1830 के बीच उत्पन्न हुए डैल्टन मिनिमम की स्थिति वापस लौट सकती है. जिसके चलते कड़ाके की ठंड, फसल के खराब होने की आशंका, सूखा और ज्वालामुखी फटने जैसे घटनाओं में इजाफा हो सकता है. बता दें कि साल 1815 में 10 अप्रैल को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा वॉलकैनो इरप्शन हुआ था. ये घटना इंडोनेशिया के माउंट टंबोरा में घटी थी. जिसकी वजह से 71,000 लोगों की जान गई थी. इसी के बाद साल 1816 को बिना गर्मी के साल का नाम दिया दया था. इस साल को एट्टीन हंड्रेड एंड फ्रोज टू देथ का नाम दिया गया था, क्योंकि उस साल जुलाई के महीने में कई जगहों पर बर्फबारी की घटनाएं हुई थीं. इस साल में अब तक सूरज में किसी भी तरह का सनस्पॉट नहीं देखा गया है, जो इस वक्त का 76 प्रतिशत है. बीते साल ये 77 फीसदी था. इन अनुमानों के बाद यही लगता है कि फ़िलहाल स्थिति खतरनाक ही रहनेवाली है.