अमेरिका में हज़ारों भारतीय आईटी पेशेवरों की नौकरी पर लटकी तलवार
12 Jun 2020
739
संवाददाता/in24 न्यूज़.
कोरोना संकट से परेशान अमेरिका बेरोजगारी का भार काम करने की दिशा में एक बहुत बड़ा झटका दे सकता है. ट्रंप प्रशासन के इस तरह के फैसले से हजारों भारतीय आईटी पेशेवरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है. एच-1 बी वीजा पर पहले से ही बड़ी संख्या में भारतीय अपनी नौकरी खो चुके हैं और कोरोना वायरस महामारी के दौरान घर वापस आ गए हैं. बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस महामारी के कारण अमेरिका में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति भारतीय आईटी पेशेवरों के बीच सबसे अधिक मांग वाले एच-1 बी सहित कई रोजगार वीजा को निलंबित करने पर विचार कर रहे हैं. भारत में हजारों आईटी पेशेवरों का इस वीजा के जरिये काम करने का सपना होता है. द वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार यह प्रस्तावित निलंबन अमेरिका में बाहर से आने वाले एच-1 बी धारकों को बड़ा झटका दे सकता है. एच-1 बी भारत के प्रौद्योगिकी पेशेवरों के लिए सबसे प्रतिष्ठित फॉरेन वर्क वीजा है. प्रस्तावित निलंबन एक अक्टूबर से शुरू होने वाले सरकार के नए वित्तीय वर्ष में बढ़ सकता है, जब कई नए वीजा जारी किए जाते हैं, द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने गुरुवार को अनाम प्रशासन अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले से वीजा धारकों के इससे प्रभावित होने की संभावना नहीं है. व्हाइट हाउस ने कहा कि कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है और प्रशासन विभिन्न प्रस्तावों पर विचार कर रहा है.रिपोर्ट में कहा गया है ट्रंप प्रशासन ने तर्क दिया है कि कोरोना वायरस महामारी को कम करने के लिए बाहर से आने वाले लोगों को सीमित करने की आवश्यकता है, साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि अमेरिकियों को नौकरियों में प्राथमिकता मिलनी चाहिए. यह भी कहा गया है कि ट्रंप प्रशासन एच-1 बी वीजा के आवेदन शुल्क को 460 डॉलर से बढाकर 20,000 डॉलर करने पर विचार कर रही है. रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका यह ओबामा-युग के एक नियम को समाप्त करने पर विचार कर रहा है, जिसमें एच-1 बी वीजा धारकों की पत्नियों को काम करने की अनुमति दी गई है. कहा गया है कि लगभग 100,000 प्रवासियों को खत्म कर सकता है.