चीनी पोर्टफोलियो निवेश को प्रतिबंधित कर सकता है भारत

 18 Jun 2020  701

संवाददाता/in24 न्यूज़.  
चीन की गद्दारी और धोखाधड़ी से भारत बेहद सख्त कदम उठा रहा है. भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव के बीच भारत में चीन के बहिष्कार की मांग उठने लगी है. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि भारत अपने इक्विटी बाजारों में एक आर्थिक प्रतिक्रिया के हिस्से के रूप में चीनी पोर्टफोलियो निवेश को प्रतिबंधित कर सकता है. एक रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) और वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग इस पर काम कर रहे हैं. चीनी एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश) पर कुछ प्रतिबंध जल्द ही लग सकते हैं. 18 अप्रैल को भारत ने अपनी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति को बदल दिया था, उन देशों से ऐसे एफडीआई के लिए सरकारी मंजूरी को अनिवार्य कर दिया गया है. यह कदम तब लिया गया जब हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कार्पोरेशन लिमिटेड (एचडीएफसी लिमिटेड) ने 12 अप्रैल को कहा कि पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (पीबीओसी) ने खुले बाजार में खरीदारी के माध्यम से मार्च तिमाही में घरेलू ऋणदाता में अपनी हिस्सेदारी 0.8 फीसदी से 1.01फीसदी तक बढ़ा दी. भारत में लगातार चीन के आयात को रोकने की मांग हो रही है हालांकि रिपोर्ट के अनुसार विश्व व्यापार संगठन में भारत के पूर्व राजदूत जयंत दासगुप्ता ने कहा कि अगर चीन से आयात रोकने की कोशिश की जाती है तो भारत खुद को नुकसान पहुंचाएगा. उन्होंने कहा "हम बिजली और दूरसंचार उपकरणों, रेल डिब्बों और दवा सामग्री के लिए चीन पर निर्भर हैं, हमें एक तर्कपूर्ण निर्णय लेना होगा. उपभोक्ता वस्तुएं एक ऐसा क्षेत्र है जहां हम चीन से अपनी निर्भरता को कम कर सकते हैं, लेकिन उन क्षेत्रों में जहां हमारे पास विकल्प नहीं हैं, हम इस तरह के आयात पर अंकुश नहीं लगा सकते. चीन अमेरिका के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना हुआ है. 2019 में भारत का चीन को निर्यात 3.8 फीसदी बढ़कर 17.1 बिलियन डॉलर हो गया जबकि आयात 7.5 फीसदी बढ़कर 68.3 बिलियन डॉलर हो गया.