हिंदू मंदिर के खिलाफ दायर याचिका पाकिस्तान में खारिज
08 Jul 2020
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संवाददाता/in24 न्यूज़.
पाकिस्तान में हिंदू मंदिर के खिलाफ दायर याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया है. मुस्लिम समुदाय की ओर से मंदिर निर्माण का काम रोकने वाली याचिकाओं को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है। मुस्लिम समुदाय की तरफ से डाली गई याचिकाओं में कहा गया था कि जिस एच /92 प्लॉट को मंदिर के लिए अलॉट किया गया है ,वो तो मास्टर प्लान में है ही नहीं । बिना मास्टर प्लान की योजना के इस प्लॉट को आवंटित किया गया था। इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि हिंदू मंदिर के लिए जमीन अलॉट करने में कोई अनियमितता नहीं हुई है। लिहाजा प्लॉट कैंसिल करने की याचिका खारिज की जाती है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि रावलपिंडी और इस्लामाबाद राजधानी क्षेत्र में पहले से ही तीन मंदिर हैं, जो हिंदू समुदाय की जरूरतों को पूरा करते हैं। हिंदू मंदिर के निर्माण के लिए संघीय सरकार द्वारा जो विशेष रूप से धन आवंटित किया गया है वह भी इस कोरोना काल में अनुचित है। यह बर्बादी है। इस तर्क को खारिज करते हुए इस्लामाबाद हाईकोर्ट हांलाकि प्लॉट कैंसिल करने की याचिका भी ठुकरा दी पर निर्माण कार्य शुरू करने की इजाजत भी नहीं दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि बिना नक्शे की स्वीकृति के निर्माण कार्य की अनुमति नहीं दी जा सकती है। बता दें कि इमरान सरकार द्वारा फंड की घोषणा के बावजूद इस्लामाबाद में मंदिर का निर्माण नहीं होने दिया जा रहा है। कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने बाउंड्री कार्य को रोक दिया है। अथॉरिटी का कहना है कि निर्माण के लिए नक्शा पास नहीं है। जबकि हिंदू पक्षकारों का कहना है कि 2017 में ही इस जमीन का आवंटन हो गया था लेकिन तब से इस जमीन पर कब्जा नहीं होने दिया जा रहा है। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग के निर्देश के बाद 3.89 कैनाल जमीन आवंटित कर दी गई, लेकिन पास के एक मदरसे ने उस पर टेंट लगाकर कब्ज़े में व्यवधान खड़ा कर दिया। काफी मशक्कत के बाद उस जमीन पर से टेंट हटवाकर बॉउंड्री करने प्रयास किया गया तो अब कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी आड़े आ रही है। तीन साल से लगातार हिंदू मंदिर के निर्माण पर कोई न कोई बाधा खड़ी की जाती रही है। पंजाब के एक मंत्री ने इस पर फतवा भी जारी कर दिया है। इस पूरे प्रकरण में एक उम्मीद है जो श्रद्धा से जुडी है. यह उम्मीद पूरी होने के बाद ही नया रास्ता निकलेगा.