अमेरिका में भारतीय आईटी पेशेवरों पर ट्रंप ने गिराई गाज

 04 Aug 2020  583

संवाददाता/in24 न्यूज़.
अमेरिका में आईटी से जुड़े भारतीय एकबार फिर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निशाने पर आ गए हैं. अमेरिका में रोज़गार के इच्छुक भारतीय आईटी पेशेवरों को अब निराशा का सामना करना पड़ेगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को "बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन" के नाम पर एच -1 बी आईटी पेशेवरों को रोज़गार दिए जाने अथवा आउट सौर्स के माध्यम से कार्य करवाने के विरुद्ध कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए। ये आदेश पिछली 24 जून से लागू होंगे। ट्रंप ने 23 जून को एच- 1 बी वीज़ा सहित अमेरिका में रोज़गार के लिए अन्यान्य वीज़ा निलंबन आदेश जारी किए थे। इस कार्यकारी आदेश की घोषणा स्वयं ट्रंप ने व्हाइट हाउस में मीडिया ब्रीफ़िंग के दौरान की। यह आदेश 31 दिसंबर तक लागू माना जाएगा। इस आदेश से भारतीय आईटी कम्पनियों-इंफ़ोसिस, टीसीएस, टेक महिंद्रा आदि कंपनियां प्रभावित होंगी, जो अमेरिकी कंपनियों के लिए ‘ठेके’ पर काम करती हैं। इसके लिए ये कंपनियां प्रतिवर्ष एक अप्रैल को निर्धारित 85 हज़ार वीज़ा के लिए हज़ारों आवेदन प्रेषित करती हैं, जिनमें से 70 प्रतिशत रोज़गार भारतीय आईटी कर्मियों के हिस्से में आते हैं। इस निलंबन आदेश के बाद राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जोई बाइडन ने प्रतिक्रिया व्यक्त की थी कि वह राष्ट्रपति बनते हैं, तो तत्काल प्रभाव से इस आदेश को रद्द कर देंगे। चुनाव तीन नवंबर को होंगे। अमेरिका में सिलिकन वैली में टेक कंपनियों को एच-1 बी पर अस्थाई वीज़ाकर्मियों की मांग रहती है। पहले तो कोविड के कारण लाखों लोगों के रोज़गार जाने और दूसरे चुनाव के समीप होने के कारण राष्ट्रपति डोल्ड ट्रंप पर उन्हीं की नीतियों का दबाव बढ़ता जा रहा था। इस आदेश से भारत के अलावा चीन के आईटी कर्मी प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि फ़ेडरल एजेंसियों के लिए अब अमेरिकी कर्मियों को रोज़गार देना सहज  होगा।इस आदेश के बाद फ़ेडरल एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना ज़रूरी होगा कि अमेरिकी नागरिकों को रोज़गार मिले। इसके लिए श्रम विभाग भी जांच पड़ताल के लिए जवाबदेह होगा। आईटी से जुड़े भारतीयों में इस घटना के बाद निराशा फ़ैल गई है.