मज़हब के नाम पर कभी विभाजन नहीं होने देंगे : शेख हसीना
16 Dec 2020
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संवाददाता/in24 न्यूज़.
मज़हब के नाम पर राजनीति और विभाजन की घटनाएं लगातार देखी जाती रही हैं. एंटी-लिबरेशन और कट्टरपंथी ताकतों पर हमला करते हुए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि देश को मुसलमानों, हिंदुओं, बौद्धों और ईसाइयों के खून के बदले में स्वतंत्रता मिली है और वह धर्म के नाम पर विभाजन और अराजकता कभी होने नहीं देंगी। उन्होंने मंगलवार की शाम को कहा कि देश के लोग सांप्रदायिक सद्भाव के आधार पर धार्मिक मनोबल को ऊंचा रखते हुए समृद्धि, प्रगति और विकास की ओर बढ़ेंगे। बांग्लादेश का 50वां विजय दिवस बुधवार को मनाया जा रहा है। मैं इस देश में कभी भी धर्म के नाम पर विभाजन या अराजकता नहीं फैलने दूंगी। इस देश के लोग धार्मिक मूल्यों को ऊंचा रखते हुए समृद्धि, विकास और प्रगति की दिशा में आगे बढ़ेंगे। उन्होंने उल्लेख किया कि बांग्लादेश के लोग धार्मिक हैं, कट्टरपंथी नहीं हैं। हमें एंटी-लिबरेशन, कट्टरपंथी ताकतों को धर्म को राजनीति का हथियार बनाने की इजाजत नहीं देनी चाहिए। सभी को अपना धार्मिक अनुष्ठान करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि फकीर लालन शाह, रबींद्रनाथ टैगोर, काजी नजरूल, कवि जिबनानंद दास और सूफियों शाह परन, शाह मखदूम के देश में हर किसी को यहां अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है। बंगबंधु के बांग्लादेश में कट्टरपंथ या कट्टरवाद की अनुमति नहीं है. 16.5 करोड़ बंगाली सांप्रदायिक सद्भाव के साथ शांति से रहना पसंद करते हैं। देश के युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एक प्रतिज्ञा लें कि आप देश को सांप्रदायिक सौहार्द की लिबरेशन वॉर की भावना के साथ स्वर्णिम बंगाल में परिवर्तित करेंगे। हसीना ने अपने 18 मिनट के भाषण में सभी से विजय दिवस की पूर्व संध्या पर लाखों शहीदों के रक्त के कर्ज को कभी न भूलने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हमें लिबरेशन वॉर के सांप्रदायिक सद्भावना को धूमिल नहीं होने देना चाहिए। युवाओं और नई पीढ़ी से मेरा अनुरोध है कि आप अपने पूर्वजों के सर्वोच्च बलिदानों को कभी न भूलें, आपको लाल और हरे रंग के झंडे का अपमान नहीं होने देना चाहिए, जिसे उन्होंने हमें उपहार में दिया है। बता दें कि कट्टरता किसी भी देश के लिए हितकारी नहीं होता.