बिलकिस बानो केस में सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट के जज ने खुद को किया अलग

 14 Dec 2022  1168
ब्यूरो रिपोर्ट/in24न्यूज़/दिल्ली
 
        गुजरात के चर्चित बिलकिस बानो केस में दोषियों की समय से पहले हुई रिहाई मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई थी लेकिन इससे पहले ही जस्टिस बेला त्रिवेदी ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया. बता दें कि बिलकिस मामले में सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में जस्टिस त्रिवेदी और जस्टिस अजय रस्तोगी को सुनवाई करनी थी. लेकिन जैसे ही जस्टिस अजय रस्तोगी और बेला एम त्रिवेदी की बेंच के समक्ष यह केस आया, वैसे ही जस्टिस रस्तोगी ने कहा कि उनकी साथी जज इस मामले की सुनवाई नहीं करना चाहेंगी. जस्टिस रस्तोगी की अध्यक्षता वाली बेंच ने आदेश दिया कि बिलकिस बानो केस को किसी ऐसी बेंच के सामने लिस्ट करें, जिसमें हम में से कोई भी सदस्य ना हो. बेंच ने जस्टिस त्रिवेदी के सुनवाई से अलग होने का कोई कारण नहीं बताया. बिलकिस की ओर से पेश एडवोकेट शोभा गुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में शीतकालीन अवकाश होने वाला है. हालांकि बेंच ने कहा कि अदालत पहले ही मामले का संज्ञान ले चुकी है और जवाबी हलफनामा भी दाखिल किया जा चुका है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट की बेंच उन दलीलों के एक बैच का जिक्र कर रही थी, जो पहले से ही उनके समक्ष पेंडिंग हैं, जिस पर जस्टिस अजय रस्तोगी की अध्यक्षता वाली बेंच द्वारा सुनवाई की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने 25 अगस्त 2022 को पहली याचिका पर नोटिस जारी किया था, जब पूर्व सीजेआई एनवी रमना की अगुवाई वाली बेंच ने मामले की सुनवाई की थी.
 
      आपको बता दें कि साल 2002 में गुजरात दंगों के दौरान गोधरा में बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था. और उस दौरान उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी. इस केस में राज्य सरकार द्वारा सभी 11 दोषियों को समय से पहले रिहा कर दिया गया है. जिसके बाद बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की हैं. पहली याचिका में उन्होंने एक दोषी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के 13 मई, 2022 के आदेश की समीक्षा की मांग की है. कोर्ट ने अपने आदेश में गुजरात सरकार से 9 जुलाई, 1992 की एक नीति के तहत दोषियों की समय से पहले रिहाई की याचिका पर विचार करने के लिए कहा था. वहीं दूसरी याचिका में उन्होंने गुजरात सरकार द्वारा दोषियों को रिहा करने के फैसले को चुनौती है. जिस पर मंगलवार को जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच में सुनवाई होनी थी, लेकिन जस्टिस त्रिवेदी ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया. बिलकिस बानो ने 15 अगस्त को दोषियों की रिहाई में छूट देने के खिलाफ याचिका में कहा था कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून की जरूरत को पूरी तरह से अनदेखा करते हुए आदेश पारित किया है. आपको बता दें कि बिलकिस बानो की उम्र साल 2002 में तकरीबन 21 साल थी और उस समय वह पांच महीने की गर्भवती थी, जब गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद भड़के दंगों से भागते समय उसके साथ गैंगरेप किया गया था. मारे गए परिवार के सात सदस्यों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी. इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी और सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे को महाराष्ट्र की एक अदालत में ट्रांसफर कर दिया था. ऐसे में चर्चा इस बात को लेकर भी हो रही है कि बिलकिस बानो केस में सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट की जज बेला त्रिवेदी ने खुद को अलग क्यों कर लिया ?