देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में कैंसर रोगियों की भावना से खिलवाड़ करने वाले गिरोह का मुंबई पुलिस ने पर्दाफाश किया है. पुलिस के मुताबिक भावनात्मक रूप से कमजोर परिवारों से ठगी करने वाला यह गिरोह इतना ज्यादा शातिर है कि आयुर्वेदिक उपचार और भस्म से कैंसर ठीक करने का झांसा देकर लोगों से उसने लाखों रुपये ऐंठ लिए. मुंबई पुलिस के जोन 5 डीसीपी डॉ प्रवीण मुंडे ने सोमवार को कथित गिरोह की जांच के लिए एक टीम की नियुक्ति की. इस दौरान कुछ पीड़ित भी सामने आए और उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह बताया कि कैसे कथित गिरोह के सरगना कृष्णा पाटिल ने उन्हें लाखों रुपये में 'आयुर्वेदिक उपचार' खरीदने का झांसा देकर उनके साथ ठगी की वारदात को अंजाम दिया. डीसीपी डॉ. प्रवीण मुंढे ने कहा कि अपने गुर्गों के साथ मास्टरमाइंड कृष्णा पाटिल साल 2009 से यह रैकेट चला रहा है. एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट और उसमे प्रकाशित तस्वीरों को देखने के बाद, माथेरान के 43 साल के मेल्विन डी सिल्वा ने पत्रकारों से संपर्क किया. कृष्णा पाटिल के साथ हुई बातचीत के बारे में डिसिल्वा ने बताया कि, ''यह मामला 2009 और 2010 के दौरान का था, तब मैं अंधेरी के एक अस्पताल में बेटे के इलाज के लिए गया था, जिसे डाउन सिंड्रोम है. कृष्णा पाटिल ने मेरी पत्नी से संपर्क किया था और वह उन वस्तुओं की सूची लेकर आया था, जो अंग्रेजी अखबार में भी प्रकाशित हुई थी. कृष्णा ने डिसिल्वा से सभी सामान खरीदने के लिए कहा और फिर आयुर्वेदिक काढ़ा तैयार करने के लिए वह डिसिल्वा के घर आया. उस वक्त डिसिल्वा पवई में रहते थे. डिसिल्वा ने कहा कि 'तब हमें भस्म खरीदने के लिए दादर जाने को कहा गया. डिसिल्वा के अनुसार उनके सामने कीमत का खुलासा नहीं किया गया बल्कि उन्हें यह बताया गया कि उनके बच्चे का जीवन अनमोल है. कथित नटवरलाल ने भावनात्मक तरीके से डिसिल्वा को अपने झांसे में लिया. चूंकि उनसे वादा किया गया था कि उनका बेटा ठीक हो जाएगा, इसलिए वो अपने पादरी के साथ दादर चले गए. पीड़ित डिसिल्वा ने आगे बताया कि, 'कृष्णा पाटिल उन्हें एक आयुर्वेदिक दुकान पर ले गए, जहां उन्होंने चांदी, सोना, हीरा आदि की भस्म को मिश्रण में मिलाया. जोकि यह भस्म बहुत महंगी थी, इसलिए उन्हें अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और यहां तक कि पादरी से भी पैसे उधार लेने पड़े. डिसिल्वा के मुताबिक उन्होंने उक्त भस्म के लिए एक लाख रुपये से अधिक खर्च किए. उन्होंने कहा कि कृष्णा पाटिल उनके बच्चे के शरीर पर मिश्रण लगाने के लिए उनके पवई आवास पर गए थे. लेकिन भस्म लगाने के कुछ मिनटों के बाद ही उनके बेटे को बेचैनी महसूस होने लगी, लेकिन उन्होंने सोचा कि इससे उनका बेटा ठीक हो जाएगा और कुछ दिनों तक उन्होंने इलाज जारी रखा. डिसिल्वा के अनुसार जब चार महीने में उनके बेटे के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ तो उन्होंने इलाज बंद कर दिया. लेकिन डिसिल्वा के परिवार और जिन रिश्तेदारों ने उन्हें पैसे उधार दिए थे, उन्होंने डिसिल्वा के साथ बातचीत भी बंद कर दिया. डिसिल्वा के मुताबिक कृष्णा पाटिल ने उन्हें और उनके परिवार वालों को धोखा दिया है. उन्होंने यह भी कहा कि वो कृष्णा पाटिल के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं करा सके, क्योंकि वो अपने बेटे की देखभाल में व्यस्त थे. बताते चलें कि डाउन सिंड्रोम एक अनुवांशिक विकार है, जो इसके साथ पैदा हुए लोगों के लिए शारीरिक और मानसिक चुनौतियों का कारण बनता है. कृष्णा पाटिल ने फिलहाल अब अपना नेटवर्क फैला लिया है. संपन्न परिवारों को निशाना बनाने के लिए शीर्ष कैंसर अस्पतालों में उसने अपने एजेंट नियुक्त किए हैं. कुछ पीड़ितों ने आरोपियों के खिलाफ मुंबई, ठाणे और नवी मुंबई में शिकायत दर्ज कराई है.
सितंबर 2016 में ठाणे की नौपाड़ा पुलिस ने वागले एस्टेट के सभी निवासियों कृष्णा पाटिल, हनुमथ गोलहर, दीपक गोलहर और शोभा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. उन्होंने 54 वर्षीय एक व्यवसायी को 90 हजार रुपये में 'आयुर्वेदिक उपचार' बेचा था, जिसकी बेटी त्वचा संक्रमण से पीड़ित थी. ठगी का एहसास होने पर उसने शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन आरोपी के पैसे वापस करने के बाद मामला शांत हो गया. जोगेश्वरी में मेघवाड़ी पुलिस ने साल 2017 में डायलिसिस कराने वाले 58 वर्षीय व्यक्ति के परिवार को धोखा देने के आरोप में आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. जिसमे शिकायत करने वाली महिला ने बताया कि, उनके देवर की दोनों किडनी फेल हो गई थी और वह डायलिसिस पर थे. 13 मार्च को, एक अज्ञात व्यक्ति ने उनसे संपर्क किया और उन्हें बताया कि उनका भाई भी इस बीमारी से पीड़ित है. लेकिन एक आयुर्वेदिक औषधि से वह हमेशा के लिए ठीक हो गया. फिलहाल मुंबई पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि ठगी की वारदात को अंजाम देने वाले इस कुख्यात गिरोह में और कुल कितने लोग शामिल हैं ?