आज की युवा पीढ़ी के खून में जहर भरने की कवायद बदस्तूर जारी

 15 May 2023  1271

संजय मिश्रा/in24न्यूज़/मुंबई

      जब किसी परिवार में बच्चे का जन्म होता है तो माता-पिता मिठाइयां बांटते हैं खुशियां मनाते हैं. हर माता -पिता का सपना होता है कि उनका बेटा या बेटी बड़ा होकर खूब नाम कमाएं, खूब आगे बढ़ें.
लेकिन आज की युवा पीढ़ी मां-बाप को धोखा देकर उनके सपनों पर पानी फेरते हुए नशे को ही अपना साथी मान रही है, जो उनके स्वास्थ्य के साथ न सिर्फ खिलवाड़ है, बल्कि वो खुद अपनी जिंदगी को धोखा दे रहे हैं. नशे की वजह से उनका भविष्य भी अंधकारमय होता जा रहा है. भारत में दिनोंदिन युवा पीढ़ी नशे की गर्त में डूबती चली जा रही है. आये दिन नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और एंटी नारकोटिक्स सेल की टीम छापेमारी कर लाखों और करोड़ों रुपयों की ड्रग्स बरामद कर रही है. ड्रग्स माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने के बावजूद मादक पदार्थों की तस्करी थमने का नाम नहीं ले रही. यहां तक कि युवा पीढ़ी नशे की लत को पूरा करने के लिए चोरी कर रहे हैं, और तो और नशे के लिए पैस नहीं मिलने पर वो अपने माता-पिता पर हमला कर दे रहे हैं. नशे की लत इतनी ज्यादा बुरी है कि यह समाज के हर वर्ग को खोखला करता जा रहा है. सरकार अकेले इस पर अंकुश लगा पाने में नाकाम साबित हो रही है, जब तक कि जन-सहयोग समाज में नहीं मिलता तब तक समाज नशा मुक्त नहीं हो सकता. नशे के सौदागरों को समाज और पुलिस मिलकर समाप्त कर सकती है, यदि समाज के बुद्धिजीवी लोग पुलिस और प्रशासन का सहयोग दे दें. आज के दौर में यह देखने और सुनने को मिलता है कि स्कूल और कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र भी नशे की चपेट में आ चुके हैं. यही नहीं, कहीं-कहीं बड़े संस्थानों में तो लड़कियां भी इसकी चपेट से अछूती नहीं हैं, जो समाज के लिए एक बहुत बड़ा कलंक है. स्कूल और कॉलेजों के बाहर नशे का सामान बेचना पूरी तरह से प्रतिबंधित है लेकिन फिर भी यह देखने को मिलता है कि नशे के सौदागर चोरी छुपे स्कूल या कॉलेजों के बच्चों को इस्तेमाल करके इस नशे की खेप को संस्थान और होस्टल तक पहुंचा रहे हैं, जो एक गंभीर समस्या बनकर उभर रही है. नशे की लत एक ऐसी गंभीर और विनाशकारी समस्या है, जिसने हमारे देश की युवा पीढ़ी को अपनी चपेट में ले लिया है. आंकड़ों की यदि बात करें तो 17 से 20 साल की अवस्था में अधिकांश किशोरों को अनैतिक पदार्थ के दुरुपयोग या नशे की लत का आदी पाया गया है. यहां तक गरीब बच्चे भी नशीली दवाइयों के दुरुपयोग और व्यसन में शामिल हुए हैं. इसे भारत सरकार के सामने एक खतरनाक मुद्दे के रूप में सामने रखा गया है क्योंकि युवा पीढ़ी देश के भविष्य के लिए संभावित शक्ति है और यदि उनके वर्तमान जीवन इस तरह के व्यसनों के तहत डूब गए हैं तो देश का भविष्य निश्चित रूप से अंधेरे में बदल जाएगा. समाज का वर्तमान परिदृश्य पहले तुलना में अब पूरी तरह से बदल गया है. अब शहरी क्षेत्रों में परिवार भी एकल हो रहे हैं. माता-पिता दोनों कामकाजी हो गए हैं इसलिए वे अपने बच्चों को गुणात्मक समय नहीं दे पा रहे हैं, जिसकी वजह से बच्चों की सच्चाई उनके सामने समय रहते सामने नहीं आ पाती. परिवारों में नैतिक मूल्यों का महत्व और विश्वास भी कम हो गया है, बड़ों की उपेक्षा हो रही है, बच्चे ज्यादातर समय अपने घरों से बाहर बिता रहे हैं और यह भी कभी-कभी उन्हें गलत साथियों के समूह में शामिल करने के लिए उन्हें प्रेरित कर रहा है. परिवार के सदस्यों के बीच संचार, बातचीत, समझ धीरे-धीरे कम होती जा रही है और आधुनिक शिक्षा प्रणाली ने भी छात्रों पर बहुत ज्यादा दबाव डाल दिया है. शिक्षा प्राप्त करने के लिए पैसा और समय नहीं है और इस प्रकार अशिक्षा अनैतिक कार्यों और दोस्तों की बुरी संगत में शामिल होती है. प्रारंभिक अवस्था में किसी को यह एहसास नहीं हो सकता है कि नशीली दवाओं का उपयोग कब एक लत में बदल सकता है और जिस क्षण यह एक लत बन जाती है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है, इसलिए माता-पिता, बड़ों और दोस्तों को हमेशा सावधान और सतर्क रहना चाहिए. दरअसल 10 से अधिक चिकित्सा संस्थानों और लगभग 15 एन.जी.ओ. के नेटवर्क के सहयोग से देश के सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय सर्वेक्षण किया गया था. भारत में नशीली दवाइयों और मादक पदार्थों के सेवन में शामिल 13 प्रतिशत से अधिक लोग 20 वर्ष से कम उम्र के हैं, जिन्हे नशे से बचाना वक्त की जरूरत है, और सबसे बड़ी बात यह है कि बिना जन भागीदारी और जन सहयोग से ड्रग्स की तस्करी का खात्मा नहीं किया जा सकता.