सुप्रीम कोर्ट ने सीएए पर केंद्र को नोटिस किया जारी

 20 Mar 2024  706

संवाददाता/in24 न्यूज़.  
सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) - 2019 और नागरिक संशोधन नियम-2024 (11 मार्च, 2024 को अधिसूचित) के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर मंगलवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई की तारीख नौ अप्रैल तय की। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद केंद्र सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया। पीठ ने सीएए अधिनियम और नियमों के तहत नागरिकता देने से केंद्र सरकार को रोकने का निर्देश देने की याचिकाकर्ताओं की गुहार ठुकराते हुए कहा कि हम कोई प्रथम दृष्टया विचार व्यक्त नहीं कर रहे हैं। शीर्ष अदालत ने हालांकि, केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके उसे अपना पक्ष तीन सप्ताह के भीतर रखने का निर्देश दिया। पीठ के समक्ष केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील देते हुए जवाब के लिए चार सप्ताह का समय देने की गुहार लगाई। उन्होंने पीठ के समक्ष कहा कि 237 याचिकाएं हैं। नागरिकता संशोधन अधिनियम पर रोक लगाने की मांग करते हुए 20 आवेदन हैं। मुझे जवाब दाखिल करने के लिए समय चाहिए। अधिनियम (CAA) किसी की नागरिकता नहीं छीनता है। याचिकाकर्ताओं के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं है। दूसरी ओर याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं कपिल सिब्बल, इंदिरा और विजय हंसारिया ने चार सप्ताह का समय देने की केंद्र के अनुरोध का विरोध किया। अधिवक्ताओं ने पीठ से बार-बार अनुरोध किया कि कहा कि वह सॉलीसीटर जनरल श्री मेहता से बयान देने को कहें कि इस बीच (याचिकाओं पर फैसला होने तक) किसी को नागरिकता नहीं दी जाएगी, क्योंकि एक बार नागरिकता मिलने के बाद पूरी प्रक्रिया अपरिवर्तनीय हो जाएगी और मामला निरर्थक हो जाएगा। इस पर सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि मैं कोई बयान नहीं देने जा रहा हूं। पीठ के समक्ष दलील देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल, इंदिरा और विजय हंसारिया ने कहा कि पहले जब शीर्ष अदालत ने 22 जनवरी, 2020 को मामले में केंद्र को नोटिस जारी किया था, तो उसने रोक के सवाल पर विचार नहीं किया था, क्योंकि तब तक सीएए संबंधी कोई नियम अधिसूचित नहीं किया गया था। वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा ने भी कहा कि जब तक अदालत इस मामले की सुनवाई नहीं कर लेती, तब तक इस (CAA) पर रोक लगाई जानी चाहिए। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं की ओर से बार-बार दलील देने पर पीठ ने कहा कि नागरिकता देने के लिए बुनियादी ढांचा अभी तक तैयार नहीं हुआ है। फिर भी यदि कुछ होता है, तो आप अदालत का रुख कर सकते हैं। बता दें कि विपक्ष भी सीए की खिलाफत करने में लगा हुआ है।