सुप्रीम ने मराठा आरक्षण पर महाराष्ट्र सरकार से मांगा जवाब

 12 Jul 2019  1160
संवाददाता/in 24 न्यूज़।
 
मराठा आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को आरक्षण संबंधी प्रावधान को बरकरार रखने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण को सही ठहराने वाले उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक नहीं लगाई लेकिन स्पष्ट किया कि मराठा समुदाय के लिए 2014 से आरक्षण देने संबंधी कानून कार्यान्वित नहीं किया जाएगा।पीठ उच्च न्यायालय के 27 जून के आदेश के खिलाफ जे लक्ष्मण राव पाटिल सहित दो याचिकाकर्ताओं की अपीलों पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने महाराष्ट्र में शैक्षिणक संस्थाओं और नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए कोटा निर्धारित करने संबंधी कानून की संवैधानिक वैधता को सही ठहराया था। उच्च न्यायालय ने यह जरूर कहा था कि अपरिहार्य परिस्थितियों में आरक्षण के लिए शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित अधिकतम 50 फीसदी की सीमा पार की जा सकती है। अदालत ने राज्य सरकार की इस दलील को स्वीकार किया था कि मराठा समुदाय सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़ा है और उनके विकास के लिए उचित कदम उठाना सरकार का कर्तव्य है। बहरहाल, उच्च न्यायालय ने कहा था कि 16 फीसदी आरक्षण न्यायोचित नहीं है और यह राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश के अनुरूप 12 या 13 फीसदी होना चाहिए। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में मराठा समुदाय के लिए शिक्षा के क्षेत्र में 12 फीसदी और नौकरियों के मामले में 13 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करने की सिफारिश की थी।