जम्मू-कश्मीर में सरकार ने बकरीद पर 2.5 लाख भेड़,बकरियों और 30 लाख मुर्गों का किया बंदोबस्त

 11 Aug 2019  1090

संवाददाता/in24 न्यूज़। 
जम्मू कश्मीर में घाटी के लोगों का दिल जीतने के लिए सरकार की तमाम कोशिशें जारी हैं। जुमे की नमाज के बाद अब सोमवार को बकरीद पर भी कश्मीरियों को घरों से बाहर निकलने की इजाजत दी जाएगी। केंद्र ने शनिवार को इसके लिए जरूरी सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा की। गृह मंत्रालय में उच्च स्तरीय बैठक के बाद प्रशासन को निर्देश दिए गए कि संवेदनशील जगहों पर भीड़ जमा नहीं होने दी जाए। सरकार ने 'हीलिंग टच' की रणनीति अपनाकर प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि राशन की कमी नहीं होने दी जाए। बकरीद के लिए करीब ढाई लाख भेड़-बकरियों और 30 लाख मुर्गों का बंदोबस्त किया है। लोगों को जरूरत का सामान घरों के पास ही मिलेगा। हालांकि, मोबाइल-इंटरनेट सेवा बहाल करने पर गृह मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियां दुविधा में हैं। कुछ समय के लिए फोन सेवा बहाल करने पर विचार किया जा रहा है। वहीं, राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने अपने सलाहकारों को अलग-अलग जिलों में लोगों के बीच भेज रखा है। रोजाना की जानकारी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के ऑफिस के जरिए पीएमओ तक भेजी जा रही हैं। वहीं, जम्मू क्षेत्र के 10 में से 5 जिलों में शनिवार को धारा-144 के तहत लागू पाबंदियां हटा ली गईं। इससे स्कूल और कॉलेज खुले। सरकारी दफ्तरों में हाजिरी बढ़ी और सड़कों पर ट्रैफिक भी सामान्य रहा। समझौता और थार एक्सप्रेस के बाद पाकिस्तान ने दिल्ली-लाहौर के बीच चलने वाली सदा-ए-सरहद बस सोमवार से बंद कर दी। शनिवार को दिल्ली से इस बस में दो यात्री पाक रवाना हुए।पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापार औपचारिक रूप से स्थगित किया। इमरान खान के मंत्रिमंडल ने नेशनल सिक्योरिटी कमेटी और संसद के संयुक्त सत्र में लिए गए निर्णय को मंजूरी दे दी है। आतंकवाद को काबू करने में नाकाम पाकिस्तान पर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की कार्रवाई हो सकती है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की स्थिति सुधारने को कहा है। जम्मू-कश्मीर पर भारत के फैसले का रूस ने समर्थन किया है। रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला संविधान के अनुसार किया है। कश्मीर घाटी में इंटरनेट और फोन सेवाओं को बंद हुए शनिवार को 7 दिन हो गए। इसके चलते घाटी में ब्रॉडबैंड, मोबाइल इंटरनेट और टैक्स्ट मैसेज सब कुछ बंद हैं। लोगों को खबर सुनने के लिए रेडियो का सहारा लेना पड़ रहा है। अब तक कश्मीर में 500 से ज्यादा स्थानीय नेता और कार्यकर्ता भी गिरफ्तार किए गए हैं। वैसे कश्मीर में इंटरनेट, सोशल मीडिया और मैसेज सेवाओं को बंद करना आम बात है। अमेरिकी सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर के मुताबिक इस साल अब तक जम्मू-कश्मीर में 59 बार इंटरनेट सेवाओं को ब्लैकआउट किया गया है। 2018 में भी इतनी ही बार राज्य में इंटरनेट सेवा बंद की गई थी। इस लिहाज से कश्मीर में इस साल पहले 30 हफ्तों में हर हफ्ते 2 दिन इंटरनेट सेवा ब्लैकआउट रही है। यानी हर महीने में करीब 9 दिन।एसएफएलसी इंटरनेट शटडाउन ट्रैकर के मुताबिक जनवरी 2012 से जुलाई 2019 के बीच देश में अलग-अलग जगहों पर 337 बार इंटरनेट सेवाएं ब्लैकआउट की गईं, इनमें से 172 बार जम्मू-कश्मीर में सेवाएं ठप हुईं। राज्य में 2017 में 32, 2018 में 65, इस साल 47 बार ऐसा हुआ है। यानी 145 बार इन तीन साल में हुआ है। 2013 और 2014 में जम्मू-कश्मीर देश में अकेला राज्य था, जहां इंटरनेट सेवा बंद की गई थी।