सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड पांच एकड़ जमीन लेने के मामले पर 26 नवंबर को बैठक में करेगा फैसला

 10 Nov 2019  948
संवाददाता/in24 न्यूज़। 
अयोध्या की रामजन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के आये फैसले का मुस्लिम पक्ष ने सम्मान तो किया है लेकिन अदालत के फैसले से खुश नहीं है और इसके खिलाफ आगे की नीति बाद में तय करेंगे। वहीं यूपी सुन्नी वक्फ बोर्उ अध्यक्ष जफर फारुखी ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उन्होंने कहा है कि रिव्यू नहीं करेंगे और हमने पहले ही तय किया था कि कोर्ट का फैसला हमें मान्य होगा। उन्होंने कहा कि पांच एकड़ जमीन की मांग हमने नहीं रखी थी और हम कोर्ट के फैसले का आदर करते हैं। उन्होंने कहा कि हम बोर्ड की बैठक बुलाने जा रहे हैं। ओवैसी ने खैरात ना लेने वाले बयान पर उन्होंने कहा कि वो बोर्ड का पार्ट नहीं है ये उनका अपना बयान है। फारुखी ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा खारिज नहीं हुआ है। जो मैंने अभी तक मालूम किया है निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज हुआ है। बोर्ड से बात करके फैसला लेंगे जमीन अयोध्या में या बाहर ली जाएगी। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड पांच एकड़ जमीन लेने के मामले पर 26 नवंबर को प्रस्तावित अपनी बैठक में फैसला करेगा. बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूकी ने रविवार को कहा कि बोर्ड की आम बैठक आगामी 26 नवंबर को संभावित है. उसमें ही यह निर्णय लिया जाएगा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार अयोध्या में सरकार द्वारा दी जाने वाली पांच एकड़ जमीन ली जाए या नहीं.फारूकी ने बताया कि वैसे तो वक्फ बोर्ड की बैठक 13 नवंबर को होनी थी, मगर अयोध्या मामले में निर्णय आने के मद्देनजर इसे टाल दिया गया. अब यह 26 नवंबर को संभावित है. फारूकी ने कहा कि जमीन लेने को लेकर उन्हें लोगों की अलग-अलग राय मिल रही है. मगर उनका व्यक्तिगत रूप से मानना है कि नकारात्मकता को सकारात्मकता से ही खत्म किया जा सकता है.बोर्ड के प्रमुख ने कहा, 'कुछ लोग यह राय दे रहे हैं कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को बाबरी मस्जिद के एवज में कोई वैकल्पिक जमीन नहीं लेनी चाहिए. मैं उनके जज्बात की कद्र करता हूं, मगर मेरी समझ से इससे नकारात्मकता ही बढ़ेगी. फारूकी ने कहा कि मैंने अयोध्या मामले में मध्यस्थता की पैरोकारी इसीलिए की थी, ताकि दोनों पक्षों के बीच व्याप्त नकारात्मकता खत्म हो जाए. वह कोशिश भले ही कामयाब न हुई हो लेकिन हमारी राय बिल्कुल साफ है.जफर फारूकी ने कहा कि कुछ लोगों का यह भी मत है कि वक्फ बोर्ड वह जमीन ले ले और उस पर कोई शिक्षण संस्थान बना दे. उसी परिसर में एक मस्जिद की भी तामीर हो जाए. फारूकी ने कहा कि अगर बोर्ड की बैठक में मस्जिद के लिए जमीन लेने का फैसला किया गया तो उस जमीन के आसपास की जरूरतों के हिसाब से निर्माण संबंधी कदम उठाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि जहां तक जमीन का सवाल है तो वह उच्चतम न्यायालय के आदेश का हिस्सा है जिसका अनुपालन सरकार को करना होगा. हालांकि, बोर्ड अपनी बैठक में यह तय करेगा कि उसे वह जमीन लेनी है या नहीं. अब जमीन कैसे ली जाएगी, उसकी क्या शर्ते होंगी यह भी बोर्ड को तय करना होगा।