अब मुख्य न्यायाधीश भी आरटीआई एक्ट के तहत : सुप्रीम कोर्ट
13 Nov 2019
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संवाददाता/in24 न्यूज़.
सूचना का अधिकार का मतलब है कि कोई भी अपनी जानकारी के लिए इस एक्ट के तहत अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैला लिया है और कहा है कि अब मुख्य न्यायाधीश नहीं आरटीआई एक्ट के दायरे में होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने आज आरटीआई पर एक बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय दिया है. जिसमें अब चीफ जस्टिस का ऑफिस आरटीआई के दायरे में आएगा. फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पारदर्शिता न्यायिक स्वतंत्रता को कम नहीं करता. बता दें कि ये अपीलें सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल और शीर्ष अदालत के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय के साल 2009 के उस आदेश के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें कहा गया है कि सीजेआई का पद सूचना का अधिकार कानून के दायरे में आता है.पीठ में सीजेआई समेत जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना उस याचिका पर अपना फैसला सुनाया जिसमें सुप्रीम कोर्ट के महासचिव ने दिल्ली हाईकोर्ट के जनवरी 2010 में आए फैसले को चुनौती दी थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सीजेआई का दफ्तर एक सार्वजनिक प्राधिकरण है और इसे सूचना के अधिकार कानून के अंतर्गत लाया जाना चाहिए. पीठ ने इस साल अप्रैल में इस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. सीजेआई रंजन गोगोई ने पहले यह कहा था कि पारदर्शिता के नाम पर एक संस्था को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए. नवंबर 2007 में आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने आरटीआई याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से जजों की संपत्ति के बारे में जानकारी मांगी थी जो उन्हें देने से इनकार कर दिया गया. अग्रवाल इसके बाद सीआईसी के पास पहुंचे और सीआईसी ने सुप्रीम कोर्ट से इस आधार पर सूचना देने को कहा कि सीजेआई का दफ्तर भी कानून के अंतर्गत आता है. इसके बाद जनवरी 2009 में सीआईसी के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गई हालांकि वहां भी सीजेआई के आदेश को कायम रखा गया.