संजू बाबा ने किसका किया पिंडदान ?

 14 Sep 2017  1679

ब्यूरो रिपोर्ट / in24 न्यूज़

बॉलीवुड सुपरस्टार संजय दत्त 14 सितंबर की दोपहर उत्तर प्रदेश की पवित्र नगरी काशी पहुंचे। दोपहर करीब सवा दो बजे गंगा किनारे रानी घाट पहुंचकर संजय दत्त ने माता-पिता सहित अपने सात पीढ़ियों का पिंडदान किया। वैसे सनातनी कर्मकांड के मुताबिक पिंडदान के लिए अधिकतम 15 दिन और न्यूनतम चार घंटे का विधान है और संजू बाबा के लिए चार घंटे के कर्मकांड को 40 मिनट में कराने की तैयारी थी लेकिन लेकिन मुंबई की बरसात ने बनारस में हुई तैयारियों पर पानी फेर दिया।

आखिरकार संजय दत्त ने महज 14 मिनट में ही अपने पूर्वजों की सात पीढ़ियों का पिंडदान कर दिया। पिंडदान के विधान को पूरा करने के लिए पं राजेंद्र वैदिक के आचार्यत्व में सात ब्राह्मण तैयार थे। सबसे पहले संजय दत्त ने मां गंगा का पूजन किया। संजय दत्त को 21 लीटर दूध से मां गंगा का अभिषेक भी करना था लेकिन समयाभाव के कारण उन्होंने दूध से भरे पात्र को मंत्रोच्चार के बीच सिर्फ स्पर्श किया। बाद में एक ब्राह्मण ने दूध गंगा को समर्पित किया। संजय दत्त के साथ भूमि फिल्म में उनकी बेटी का किरदार निभाने वाली अदिति राव हैदरी भी थीं।

संजय दत्त का भरत सर्राफ, अनूप सर्राफ, आकाश सर्राफ, अंकित अग्रवाल, सुरेखा अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, आनंद अग्रवाल, सुरेश तुलस्यान ने स्वागत किया। माता-पिता सहित सात पीढ़ियों का पिंडदान करने के बाद रानी घाट पर पत्रकारों से बातचीत में सिने स्टार संजय दत्त ने कहा कि मेरे लिए बनारस आकर पिंडदान करना बहुत जरूरी था। मेरे पिता ने शरीर त्यागने से पूर्व अंतिम मुलाकात में मुझसे कहा था कि जब आजाद होना तो मेरा और अपनी मां का काशी में पिंडदान अवश्य करना। अब मैं आजाद हो गया हूं तो यह कार्य मेरी प्राथकिता थी।

पिंडदान के बाद मुझे पापा की अंतिम इच्छा पूरी करने की खुशी हो रही है। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि बनारस में गंगा किनारे आकर ऐसा लग रहा है कि क्यों न मैं भी बनारसी ही हो जाऊं। अदालत और राजनीति से जुड़े सवालों की बौछार शुरू होते ही संजय ने मुस्कुराते हुए दोनों हाथ जोड़े और कहा कि इन सवालों के जवाब के लिए बहुत मौके मिलेंगे। बहरहाल मायानगरी हो या मायानगरी वाले, दोनों की माया समझ से परे है।