रजनीकांत का जन्मदिन आज
12 Dec 2019
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संवाददाता/in24 न्यूज़.
दक्षिण के सुपरस्टार रजनीकांत का आज जन्मदिन है. कहने को तो रजनीकांत दक्षिण फिल्मों के सुपर स्टार हैं, मगर रजनीकांत अपने आप में ही एक पहचान हैं, ये किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. पूरी दुनिया में रजनीकांत के नाम से मशहूर इस सुपर स्टार का पूरा नाम शिवाजी राव गायकवाड है. रजनीकांत एक ऐसे इन्सान हैं, जिन्होंने जमीन से उठकर अपने आप को आसमान तक पहुंचा दिया है. वैसे तो इस दुनिया में ऐसे कई लोग है जिन्होंने अपार सफलता अर्जित की हैं लेकिन फिर भी रजनीकांत की कहानी कुछ अलग हैं. रजनीकांत जैसे सुपर स्टार ने अपने करियर की शुरुआत एक मामूली सी कारपेंटर की नौकरी से की, कारपेंटर से कुली, और कुली से बी.टी. बस के कंडेक्टर और कंडेक्टर के बाद विश्व के सबसे अधिक लोकप्रिय सुपर स्टार बनने का सफ़र कितना परिश्रम और कठिनाइयों से भरा होगा, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है. रजनीकांत का जन्म 12 दिसम्बर 1950 को कर्नाटक प्रदेश के बैंगलूर में हुआ. रजनीकांत का परिवार मराठी पृष्ठभूमि का था, रजनीकांत की माता का नाम रामबाई था जो कि एक गृहणी थी और पिता रामोजीराव गायकवाड एक पुलिस कांस्टेबल थे. उनके घर की आर्थिक स्थिती ज्यादा अच्छी नहीं थी. रजनीकांत मराठी पृष्ठभूमि से नाता रखते थे इसलिए उनका नाम महान वीर योद्धा छ्त्रपति शिवाजी के नाम पर रखा गया था. रजनीकांत अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटे थे. रजनीकांत ने बचपन में ही महज 5 साल की उम्र में अपनी माता को खो दिया था. रजनीकांत की शुरुवाती शिक्षा गाविपुरम गवर्नमेंट कन्नड़ मोर्डन प्राइमरी स्कूल में हुई. रजनीकांत उस समय पढाई लिखाई में विशेष दिलचस्पी रखते थे. रजनीकांत की बचपन से ही आध्यात्म में भी खासी रूचि रही हैं, जिसका कारण उनकी बाकि की शिक्षा रामकृष्ण मठ में हुई, जिसका संचालन रामकृष्ण मिशन द्वारा किया जाता था. रजनीकांत का बचपन से ही कला के प्रति विशेष रुझान था, जिसके चलते वे मठ में होने वाले कई सांस्कृतिक प्रोग्राम में भी भाग लेते रहते थे, जिस से उनकी रुचि कला के क्षेत्र में और गहरी होती चली गई. इसके बाद की शिक्षा रजनीकांत ने आचार्य पाठशाला पब्लिक स्कूल से प्राप्त की. स्कूल में पढाई के दौरान भी उन्होंने नाटक आदि में भाग लेना ज़ारी रखा. रजनीकांत ने अपनी शिक्षा पूरी होने के बाद अपने जीवन की शुरुवात एक कारपेंटर की नौकरी से की, फिर कुली का काम किया और इसी बीच में “बैंगलूर ट्रांसपोर्ट सर्विस” में भर्ती निकली, जिसमे रजनीकांत को सफलता प्राप्त हुई और वे बी. टी. कंडेक्टर बन गए. इस नौकरी से रजनीकांत को आर्थिक सहायता तो मिली लेकिन फिर भी शायद ये वो मुकाम नहीं था, जहाँ रजनीकांत को जाना था. कंडेक्टर की सर्विस के दौरान भी उन्होंने अपने अभिनय तथा कला की रूचि को बनाये रखा, जिसके परिणामस्वरूप उनकी कार्यशैली सभी सहकर्मियों से भिन्न थी. उनका अंदाज ही निराला था, एक अलग ही शैली में यात्रियों से बात करना, उनके टिकिट काटना, अपनी शैली में सिटी बजाना, ये सब यात्रियों को और सहकर्मियों को खूब लुभाता था. इस दौरान वे नाटक व स्टेज शो में भाग लेते रहते थे. रजनीकांत को फिल्मो में अभिनय करने का शौक तो था ही, जिसके चलते उन्होंने 1973 में एक्टिंग में डिप्लोमा लेने के लिये मद्रास फिल्म इंस्टिट्यूट में दाखिला लिया. और इसी इंस्टिट्यूट में उन्हें अभिनय के क्षेत्र में या कहें कि फ़िल्मी दुनिया में अपना पहला कदम रखने का मौका मिला. इंस्टिट्यूट में ही एक नाटक के दौरान उन पर फिल्म निर्देशक के. बालाचंदर की नजर पड़ी, जो कि उस समय के बहुत ही मशहूर निर्देशकों में शामिल थे. वो कहावत सच ही हैं कि एक हीरे की परख जौहरी को ही होती हैं. बालाचंदर जीरजनीकांत के अभिनय से बहुत अधिक प्रभावित हुए. इतना ही नहीं उन्होंने रजनीकांत को अपनी फिल्म में एक अभिनय का प्रस्ताव भी दिया. जिसे रजनीकांत ने तुरंत स्वीकार कर लिया. फिल्म थी अपूर्वा रागंगाल ये रजनीकांत की पहली फिल्म बनी. इस फिल्म में रजनीकांत का किरदार छोटा था, लेकिन उनकी अभिनय क्षमता ने बरबस ही सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. इस तरह बालाचंदर जी उन्हें उस फ़िल्मी दुनिया में ले आये, जहां वे आना चाहते थे. लेकिन ये तो महज एक सफ़र की शुरुआत ही थी, अभी तो करने के लिए बहुत कुछ बाकि था. रजनीकांत को बालचंदर ने ही तमिल भाषा सिखने की सलाह दी, जिस पर रजनीकांत ने अमल भी किया.आज पूरी दुनिया में जिस तरह रजनीकांत के प्रशंसक उनकी स्टाइल के दीवाने हैं ऐसा बहुत कम एक्टर के साथ होता है. यही कारण है कि उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचकर भी आज के बड़े-बड़े स्टार्स को टक्कर देने में इनका कोई जोड़ नहीं. ऐसे महान कलाकार को in24 न्यूज़ परिवार यही कहता है जीवेत शरदः शतम!