स्ट्रगल के अंधेरे से चमके थे प्रकाश मेहरा

 17 May 2020  963

संवाददाता/in24 न्यूज़.
बॉलीवुड में निर्माता निर्देशक प्रकाश मेहरा का नाम सदैव याद किया जाएगा. आज उनकी 11वीं पुण्यतिथि है। प्रकाश मेहरा का नाम बॉलीवुड इंडस्ट्री के उन फिल्म डायरेक्टर्स में शुमार है जिन्होंने अपने दम से सिनेमा का कैनवास बदल डाला। प्रकाश मेहरा सिनेमा के माध्यम से मुश्किल कहानियों को बेहद सहजता से पर्दे पर उतारने की क्षमता वाले फ़िल्मकार थे। उत्तर प्रदेश के बिजनौर में 13 जुलाई को पैदा होने वाले प्रकाश का जीवन काफी संघर्षों से भरा हुआ है। कभी नाई की दुकान में रात बिताई तो कभी भूखे पेट फुटपाथ पर बैठे रहे। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। संघर्ष के दिनों में उन्होंने फिल्म डिवीजन में रोजाना पांच रुपये पर नौकरी की। इधर-उधर भटकते प्रकाश ढेरों संगीतकारों के आगे अपना गीत सुनने के लिए मिन्नतें करते थे। अक्सर लोग उन्हें दुत्कार दिया करते थे। कभी कोई सुनता भी तो अनमने ढंग से। एक बार संगीतकार के यहां बैठे प्रकाश का गीत भरत व्यास ने सुना और वह गीत खरीदा लिया। प्रकाश को बदले में मिले थे सिर्फ पचास रुपये। यह गीत था तुम गगन के चन्द्रमा हो मैं धरा की धूल हूं। यहीं से शुरू हुआ प्रकाश मेहरा का फिल्मी सफर। सत्तर के दशक की शुरुआत में 'जंजीर' से आगाज करने के बाद प्रकाश और बच्चन की जोड़ी वाली सात में से छह फिल्में मेगा हिट रहीं। दोनों की आखिरी फिल्म 'जादूगर' थी। साल 1989 में आई यह फिल्म चल नहीं सकी। निर्देशक मेहरा और अभिनेता बच्चन की साथ की हिट फिल्मों की सूची में 'जंजीर' के अलावा 'मुकद्दर का सिकंदर', 'लावारिस', 'नमक हलाल', 'शराबी' और 'हेराफेरी' शामिल है।  जंजीर के बाद अमिताभ व प्रकाश मेहरा की जोड़ी की सबसे शानदार फिल्म आई मुकद्दर का सिंकदर थी। इस फिल्म ने अमिताभ के एंग्रीयंग मैन की इमेज को और भी पुख्ता किया। इस फिल्म के बाद अमिताभ बच्चन बॉलीवुड के सबसे बड़े सुपर स्टार में शुमार हो गए थे। हालत यह हो गई कि उनके टक्कर का कोई अभिनेता नहीं बचा खासकर सबसे ज्यादा मेहनताना लेने में वे सभी अभिनेताओं से काफी आगे निकल गए।