हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे, कम से कम राह से पत्थर तो हटाते जाते - राहत इंदौरी

 11 Aug 2020  1038
ब्यूरो रिपोर्ट/in24न्यूज़.  उर्दू भाषा के विश्वविख्यात शायर डॉ राहत इंदौरी का कोरोना वायरस की चपेट में आने से निधन हो गया. देश के सबसे प्रतिष्ठित कवि, शायर और हिंदी फिल्म गीतकार राहत इंदौरी 70 साल के थे. उनके गीत अब तक लगभग 13 से अधिक बॉलीवुड फिल्मों में इस्तेमाल किया जा चुका है. अरबिंदो अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी राजीव सिंह ने उनकी मौत की पुष्टि की. राहत ने मंगलवार सुबह खुद ट्वीट करके कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी दी थी. डॉक्टर के मुताबिक, राहत को लगातार तीन हार्ट अटैक आए थे. राहत इंदौरी के बेटे और युवा शायर सतलज राहत ने बताया था कि उनके पिता चार महीने से सिर्फ नियमित जांच के लिए ही घर से बाहर निकलते थे. उन्हें चार-पांच दिन से बेचैनी सी लग रही थी. डॉक्टरों की सलाह पर एक्सरे कराया गया तो निमोनिया की पुष्टि हुई थी. इसके बाद उनके सैंपल जांच के लिए भेजे गए, जिसमें वे संक्रमित पाए गए. राहत पहले ही दिल की बीमारी और डायबिटीज से परेशान थे. उनके डॉक्टर रवि दोशी ने बताया था कि उनके दोनों फेफड़ों में निमोनिया था. उन्हें सांस लेने में तकलीफ के चलते आईसीयू में रखा गया था.
           मध्यप्रदेश के इंदौर में 1 जनवरी 1950 को जन्मे राहत इंदौरी ने बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी से उर्दू से एमए किया था. भोज यूनिवर्सिटी द्वारा उन्हें उर्दू साहित्य में पीएचडी से नवाजा गया था. राहत ने मुन्ना भाई एमबीबीएस, खुद्दार, नाराज, मीनाक्षी, मर्डर, करीब, मिशन कश्मीर, बेगम जान, इश्क, घातक, जानम, आशियां, और मैं तेरा आशिक जैसी फिल्मों में गीत लिखे. राहत इंदौरी की मौत अदबी दुनिया के कभी न भरने वाला ज़ख्म साबित होगा. राहत इंदौरी अपने बेबाक अदांज़ और बेहतरीन शायरी के लिए जाने जाते रहे हैं. वो हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पूरी अदबी दुनिया के लिए एक मिसाल रहे हैं. आज राहत इंदौरी भले ही इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी यादें हम सबके दिलों में हमेशा जिंदा रहेगी दो गज़ सही मगर यह मेरी मिल्कियत तो है, ऐ मौत तूने मुझे जमींदार कर दिया ...