हरफनमौला कलाकार संजीव कुमार की पुण्यतिथि आज
06 Nov 2020
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संवाददाता/in24 न्यूज़.
हरफनमौला अभिनेता संजीव कुमार की आज पुण्यतिथि है. संजीव कुमार का असली नाम हरिभाई जरीवाला था। उनके एक्टिंग की खासियत यह थी कि वह किसी भी रोल को बड़े ही आसानी से प्ले कर लेते थे। इस बात का जीता जागता उदाहरण फिल्म नया दिन नई रात में उन्होंने एक या दो नहीं बल्कि नौ अलग-अलग रोल निभाकर दर्शकों को रोमांचित कर दिया था। संजीव कुमार का देहांत केवल 47 साल की कम उम्र में हो गया था। वैसे तो संजीव कुमार ने अपने फिल्मी करियर में कई अलग अलग रोल किए हैं। चाहे वह फिल्म कोशिश में एक गूंगे की रोल प्ले करना हो या फिर शोले में ठाकुर का किरदार या सीता और गीता और अनामिका जैसी फिल्मों में रंगीन शर्ट पहने हीरोइनों पर डोरे डालते लवर ब्वॉय की। वह बड़े ही आसानी से किसी भी रोल को प्ले कर लिया करते थे। उनके एक्टिंग की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि वो एक ही टाइप के रोल में बंधकर नहीं रहना चाहते थे। यही कारण था कि दर्शक उनके अभिनय के कायल हो चुके थे। संजीव कुमार जब थिएटर कर रहे थे उसी दौरान उन्होंने अपने एक्टिंग से सबको हिलाकर रख दिया था। दरअसल वे जब सिर्फ 22 साल के ही थे तभी उन्होंने अपनी एक्टिंग से सबको हिलाकर रख दिया था। दरअसल संजीव उस दौरान थिएटर कर रहे थे। इसमें उन्हें 60 साल के एक व्यक्ति का रोल प्ले करना था। उन्होंने इस किरदार को इतनी संजीदगी से निभाया की सभी दर्शक उनके अभिनय के कायल हो गए थे। बताया जाता है कि संजीव कुमार एक्ट्रेस विद्या सिन्हा के ड्रीम होरो थे। लेकिन एक बार उन्होंने अपनी को एक्ट्रेस के साथ एक मजाक कर दिया था। उनका यह मजाक विद्या को बिल्कुल पसंद नहीं आया था। दरअसल उन दिनों अलाप फिल्म की शूटिंग चल रही थी। जब शूटिंग से ब्रेक मिला तो सभी लोग एक साथ खाना खाने के लिए साथ बैठे। इस दौरान संजीव ने विद्या से कहा कि वे चाइनीज आलू की चटनी टेस्ट करें। विद्या ने ये चटनी टेस्ट कर लिया। हालांकि सिन्हा को इस चटनी का टेस्ट बेहद ही खराब लगा। हालांकि थोड़ी देर संजीव कुमार ने विद्या से कहा कि आलू की जगह उन्होंने झींगे की चटनी खाई है। फिर क्या था विद्या फौरन वाशरूम की ओर भागी। इस दौरान वे उल्टिंया करने लगी थी। विद्या असल में शाकाहारी थी। कहा जाता है संजीव कुमार मार का पहला प्यार एक्ट्रेस नूतन थी। दोनों फिल्म देवी (1970) में साथ काम कर रहे थे। उन्होंने सेट पर मौजूद सभी के सामने तुरंत नूतन को प्रपोज किया। नूतन, जो पहले से ही शादीशुदा थीं, उन्हें कुमार की यह बात बिल्कुल नागवार गुजरी और गुस्से में आकर नूतन ने उन्हें थुप्पड़ जड़ दिया। ऐसा कहा जाता है कि तब से कुमार और नूतन हमेशा एक-दूसरे का सामना करने से बचते थे। संजीव कुमार की फैमिली में कोई भी आदमी 50 साल से अधिक नहीं जी सका। संजीव को भी इस बात का डर ताउम्र सताता रहा था। उन्हें लगता था कि वे ज्यादा नहीं जी पाएंगे। उनके छोटे भाई नकुल की मौत संजीव के पहले हो गई थी। ठीक छह महीने बाद बड़े भाई किशोर भी नहीं रहे थे। संजीव कुमार ने भी 47 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया था। संजीव कुमार की पहली फिल्म हम हिंदुस्तानी (1960) थी। उन्होंने कई फिल्मों में छोटे-मोटे रोल किए और धीरे-धीरे अपनी पहचान बनाई। उन्होंने निशान (1965), बादल (1966), शिखर (1968), अनोखी रात (1968), दस्तक (1970), मन मंदिर (1971), कोशिश (1972), मनचली (1973), अनामिका (1973), आप की कसम (1974), उलझन (1975), पापी (1977), त्रिशूल (1978), नौकर (1979) सहित कई फिल्मों में काम किया। अपने अभिनय से जिस तरह संजीव कुमार चरित्र में जान दाल देते थे उसकी कोई मिसाल नहीं है. उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें शत शत नमन.