रिहा हुई तलवार दंपत्ति, सवाल वही कि हत्यारा कौन ?

 12 Oct 2017  1330

ब्यूरो रिपोर्ट / in24 न्यूज़

आरुषि-हेमराज मर्डर केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ. राजेश और नूपुर तलवार को बरी कर दिया है ,आपको बता दे कि तलवार दंपति ने सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। जबकि 26 नवंबर, 2013 को उनको सीबीआई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस समय तलवार दंपति  गाजियाबाद के डासना जेल में सजा काट रहे हैं । इस हत्याकांड में 15-16 मई, 2008 की रात को आरुषि की लाश नोएडा में अपने घर में बिस्तर पर मिली थी जिसके  बाद एक-एक कर इतनी नाटकीय घटनाएं सामने आई कि पूरा मामला किसी क्राइम थ्रिलर की फिल्म में बदल गया। इसमें अगले पल क्या होगा ये किसी को पता नहीं था।

नोएडा के मशहूर डीपीएस में पढ़ने वाली आरुषि के कत्ल ने आस पड़ोस के लोगों से लेकर पूरे देश को झकझोर दिया था। यह हत्याकांड इतने शातिर तरीके से अंजाम दिया गया था कि हत्यारा का पता लगाना काफी मुश्किल हो रहा था। कत्ल के फौरन बाद शक घर के नौकर हेमराज पर किया गया, लेकिन अगले दिन जब हेमराज की लाश घर की छत पर मिली तो ये पूरा मामला और पेचीदा हो गया। पुलिस हमेशा की तरह बड़बोले दावे करती रही कि जल्द ही डबल मर्डर का राज सुलझा लिया जाएगा,लेकिन ऐसा नहीं बेहद सनसनीखेज तरीके से नोएडा पुलिस ने दावा किया था कि आरुषि-हेमराज का कातिल कोई और नहीं बल्कि उसके पिता डॉक्टर राजेश तलवार हैं,और इस थ्योरी के पीछे पुलिस ने ऑनर किलिंग की दलील रखी।

23 मई, 2008 को पुलिस ने बेटी की हत्या के आरोप में राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन तब तक इस मामले में इतने मोड़ आ चुके थे कि मर्डर का ये मामला एक ब्लाइंड केस बन गया।  31 मई, 2008 को आरुषि-हेमराज मर्डर केस की जांच सीबीआई के हवाले कर दी गई थी । 10 जून को हिरासत में  लिए गए डॉ तलवार के कंपाउंडर कृष्णा का लाई डिटेक्टर टेस्ट किया गया। उसे बेंगलुरु में नार्को टेस्ट के लिए ले जाया गया। 13 जून 2008 को नार्को टेस्ट के बाद सीबीआई ने कृष्णा को गिरफ्तार किया, उसपर हत्या का आरोप लगाया गया। 11 जुलाई, 2008 को सीबीआई ने कहा कि डॉ राजेश बेगुनाह हैं और असली कातिल कंपाउंडर कृष्णा है। 12 जुलाई, 2008 को राजेश तलवार को गाजियाबाद की डासना जेल से जमानत पर रिहा कर दिया गया।

12 सितंबर, 2008 को सीबीआई 90 दिनों तक चार्जशीट फ़ाइल नहीं कर सकी जिसके बाद राजकुमार और विजय मंडल को सीबीआई कोर्ट से जमानत मिल गयी।  साल 2009 में आरुषि हत्याकांड की जांच के लिए पहली टीम को हटाकर सीबीआई की दूसरी टीम बनाई गयी। 15 फरवरी से 20 फरवरी 2009 के बीच डॉ तलवार का नार्को -एनालिसिस टेस्ट किया गया और 29 दिसंबर को सीबीआई ने कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दायर की। इसमें नौकर को क्लीन चिट दे दी जबकि तलवार दंपत्ति को इसमें मुख्य आरोपी करार दिया गया।  25 जनवरी, 2011 को गाजियाबाद की सपेशल सीबीआई कोर्ट में राजेश तलवार पर उत्सव शर्मा ने हमला किया, इसमें डॉ तलवार के चेहरे पर गंभीर चोटें आयी। 9 फरवरी 2011 को गाजियाबाद की स्पेशल सीबीआई अदालत ने तलवार दंपत्ति पर सबूत मिटाने और आरुषि हत्याकांड में शामिल होने का आरोप तय किया।

21 फरवरी को तलवार दंपति ने अपने ऊपर लगे आरोपों के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का रूख किया।  18 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलवार दंपत्ति की अर्जी खारिज कर दी। 19 मार्च को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी। साल 2012 में डबल मर्डर के चार साल बाद आरुषि की मां नूपुर तलवार ने कोर्ट में सरेंडर किया। 26 नवंबर, 2013 को न्यायालय का फैसला आया तो सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एस लाल ने अपने 208 पन्ने के फैसले में राजेश और नूपुर तलवार को दोषी करार दिया।

कुलमिलाकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये पाया कि आरुषि और हेमराज हत्याकांड में सीबीआई की जांच सही तरीके से नहीं की गयी जिसके संदेह  का लाभ देते हुए माननीय न्यायाधीश ने तलवार दंपत्ति को बरी कर दिया और सीबीआई के फैसले को ख़ारिज कर दिया जिसके बाद डासना जेल में कैद तलवार दंपत्ति रो पड़े और इस तरह आरुषि हत्याकांड का अध्याय समाप्त हो गया। लेकिन सवाल वही कि आखिर आरुषि और हेमराज की हत्या किसने की ?