सुप्रीम कोर्ट का विजय माल्या को बड़ा झटका, 10 जुलाई से सजा की सुनवाई शुरू होंगी
09 May 2017
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ब्यूरो रिपोर्ट /in24 न्यूज़, नई दिल्ली
नई दिल्ली: बैंकों का लोन न चुकाने पर किंगफ़िशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या को सुप्रीम कोर्ट का झटका ! विजय माल्या को कोर्ट के अवमानना का दोषी माना गया है। कोर्ट का कहना है कि उन्होंने ने संपत्ति का पूरा ब्योरा नहीं दिया है। 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है और 10 जुलाई को सजा पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगी । आपको बता दे कि 9 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने विजय मलया के खिलाफ अदालत की अवमानना और डिएगो डील मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था। माल्या से बैंकों ने मांग की है कि 40 मिलियन यूएस डॉलर जो डिएगो डील से मिले थे उसे सुप्रीम कोर्ट में जमा कराया जाए। सुप्रीम कोर्ट का आदेश सरकार के यूके से माल्या के प्रत्यर्पण में भी मदद करेगा।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माल्या के वकील से पूछा था कि आपने जो कोर्ट में संम्पतियों के बारे में कोर्ट को जानकारी दी है क्या वह सही है ? क्या आपने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन तो नहीं किया है ? चूंकि कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि माल्या बिना कोर्ट की अनुमति के कोई भी ट्रांजेक्शन नहीं कर सकते इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि माल्या के खिलाफ कोर्ट के आदेश को कैसे लागू किया जा सकता है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि माल्या को वापस लाने की कोशिश की जा रही है। वहीं SBI ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि माल्या के ऊपर 9200 करोड़ रुपये का बकाया है। सभी बैकों का मानना है कि माल्या की याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए, क्योंकि वह बार-बार कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं। विजय माल्या की तरफ से कोर्ट में कहा गया था कि उनके पास इतने पैसे नहीं है कि वे 9200 करोड़ रुपये बैंक के कर्ज़ को अदा कर पाएं, क्योंकि उनकी सभी सम्पतियों को पहले ही जब्त कर लिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में माल्या ने कहा उनके पास जो भी संपत्ति है वह ज़ब्त की जा चुकी है और अब उनके पास पैसे नहीं है। सूत्रों के अनुसार विजय माल्या ने कहा था कि जो 2000 करोड़ की उनकी संपत्ति को बैंक ने जब्त की है, बैंक चाहे तो उसे बेच सकती है। सुप्रीम कोर्ट विजय माल्या के खिलाफ बैंकों की दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। सुनवाई के वक्त बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी और कहा था कि माल्या को आदेश दें कि डिएगो डील से मिले 40 मिलियन यूएस को एक सप्ताह के भीतर उसे भारत लेकर आए, अगर पैसे नहीं देते है तो वे कोर्ट में पेश हो जाए।
बैंकों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि डिएगो डील से जो 40 मिलियन डॉलर मिले थे माल्या ने अपने बच्चों के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जिसका माल्या ने बाकायदा एक ट्रस्ट भी बना रखा है। बैंकों ने डिएगो डील से मिले 40 डॉलर को सुप्रीम कोर्ट में जमा करने की मांग की थी। इससे पहले माल्या की याचिका पर कोर्ट ने बैंकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था लिहाजा कोई अवमानना का मामला नहीं बनता। दरअसल SBI और बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट में कोर्ट की अवमानना की याचिका दाखिल की है जिस पर कोर्ट ने माल्या को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों ना उनके खिलाफ अवमानना का मुकदमा चलाया जाए ?
बैंकों ने अपनी याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर माल्या ने सील कवर में संपत्ति का ब्यौरा दिया जोकि गलत है। AG ने कोर्ट को कहा है कि माल्या ने अपने डिक्लेरेशन में कई जानकारियां छिपाई है। माल्या ने 2500 करोड़ के कैश का लेन-देन छुपाया है और कोर्ट के आदेश की अवमानना किया है। कोर्ट में देश-विदेश की संपत्ति का ब्योरा दाखिल किया था जिसपर बैंकों के करीब 9000 करोड़ रुपये का लोन न चुकाने पर माल्या को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था।