गुज़रते वक़्त ने बनाया गुलज़ार
18 Aug 2017
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ज्योति विश्वकर्मा/ in24 news
" किनारा मिला जो किनारा नहीं था, बहाना था कोई सहारा नहीं था
यही एक पल जिसको समझे थे अपना, न जाने था किसका, हमारा नहीं था "
जिंदगी के फलसफों को शब्दों के जरिये कागज पर उतारने वाले मशहूर शायर ,लेखक, निर्...
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