आसाराम मामले में सुप्रीम कोर्ट का गुजरात सरकार को फटकार !
28 Aug 2017
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ज्योति विश्वकर्मा / in24news
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रेप के आरोपी आसाराम बापू के मामले में दखल देने को लेकर गुजरात सरकार की खिंचाई की। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि आज तक रेप पीड़िता की जांच क्यों नहीं की गई। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा कि मामले की सुनवाई में देरी क्यों हो रही है? शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार को कहा है कि हलफनामा दायर कर केस की प्रगति के बारे में बताएं। मामले की सुनवाई दीवाली के बाद होगी। दरअसल नाबालिग से रेप का मामले में 12 अप्रैल 2017 को सु्प्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से कहा था कि आसाराम के खिलाफ ट्रायल को लटकाए ना रखे। इस मामले में प्रैक्टिकली संभव हो सके, गवाहों के बयान दर्ज कराएं जाएं क्योंकि आसाराम लंबे वक्त से जेल में है। न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक , जस्टिस एनवी रमन्ना और जस्टिस अमिताभ रॉय की बेंच ने मामले में राज्य सरकार से एफिडेविट दायर करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने 12 अप्रैल को गुजरात की ट्रायल कोर्ट को कहा था कि वह आसाराम यौन शोषण मामले में प्रॉसिक्यूशन द्वारा पेश किये गए एविडेंस की जांच करे।
सूरत की 2 बहनो ने आसाराम के खिलाफ गवाही दी थी। कोर्ट ने सूरत कथित रपे पीड़िताओं समेत 46 गवाहों के बयां रिकॉर्ड करने का आदेश दिया था। अप्रैल में पूर्व चीफ जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस के कौल की बेंच ने गुजरात में मुकदमे की सुनवाई करने को कहा था, ताकि मामले में तेजी आ सके। गुजरात सरकार की ओर से पेश अडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 29 अभियोजन पक्ष के गवाहों की जांच हो चुकी है और 46 गवाहों के बयानों को अभी दर्ज किया जाना बाकी है। इस बीच दो गवाहों की हत्या कर दी गई और कई जख्मी हुए हैं। इससे पहले शीर्ष अदालत ने 30 जनवरी को आसाराम की जमानत याचिका ख़ारिज करते हुए टिप्पणी की थी कि उन्होंने ज़मानत के लिए न्यायलय के समक्ष 'फर्जी दस्तावेज 'पेश किये। दरसअल असरामने सुप्रीम कोर्ट में ज़मानत की अर्जी लगायी थी लेकिन कोर्ट ने अर्जी को ठुकराते हुआ कहा था की जब तक केस के गवाहों के बयां ट्रायल कोर्ट में दर्ज़ नहीं हो जाते , वो मामले की सुनवाई नहीं करेगा। आसाराम 2013 से जेल में बंद है।