शादी की बात छिपाकर दूसरी शादी करके सेक्स के लिए सहमति पाना रेप है : बॉम्बे हाईकोर्ट

 29 Jul 2022  742

संवाददाता/in24 न्यूज़.

लीव इन रिलेशन के ज़माने में अब एक नया कानून सामने आया है. पहली शादी की बात छिपाकर दूसरी शादी करके सेक्स के लिए सहमति हासिल करना एक तरह से रेप ही है. बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court ) ने एक मराठी एक्ट्रेस द्वारा दायर रेप केस में उसके तथाकथित पति को बरी करने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की. इस मामले में एक शख्स में अपने अविवाहित होने का दावा करते हुए तलाकशुदा मराठी अभिनेत्री से शादी कर ली थी जबकि उसके पहली शादी से पत्नी और दो बच्चे हैं. उसने एक्ट्रेस से झूठ बोला था कि उसका पत्नी से तलाक हो चुका है. उसने तलाक के कथित पेपर भी दिखाए थे, जो बाद में फर्जी निकले. अब सिद्धार्थ बंथिया नाम के इस शख्स पर बलात्कार का मुकदमा चलेगा. कोर्ट ने उसकी दूसरी शादी को भी शून्य करार दिया है. खबर के मुताबिक एक कॉमन फ्रेंड ने 2008 में मराठी एक्ट्रेस को सिद्धार्थ बंथिया से मिलवाया था. उसने कथित तौर पर अपने कुंवारे होने की बात कही और जून 2010 में एक्ट्रेस को प्रपोज कर दिया. एक महीने बाद वर्सोवा में दोनों ने शादी कर ली और साथ रहने लगे. इसके करीब दो महीने बाद एक्ट्रेस के पास एक महिला का फोन आया. उसने दावा किया कि वह सिद्धार्थ की पत्नी है और उनके दो बच्चे भी हैं. जब एक्ट्रेस ने सिद्धार्थ से इस बारे में बात की तो उसने दावा किया कि उसकी पिछली शादी भंग हो चुकी है. यहां तक ​​कि उसने तलाक के कथित कागजात भी दिखाए.बाद में, जब एक्ट्रेस और सिद्धार्थ ने एक होटल में अपनी शादी की सालगिरह का जश्न मनाया और उसकी फोटो अखबारों में छपीं तो उन्हें देखकर पहली पत्नी उनके घर पर आ गई और हंगामा किया. तब सिद्धार्थ ने कथित तौर पर माना कि तलाक के जो कागजात उसने दिखाए थे, वो नकली थे. इसके बाद, एक्ट्रेस ने 2013 में सिद्धार्थ के खिलाफ बलात्कार समेत आईपीसी की धारा 420, 406, 467, 471, 474, 376, 323, 504, 506 (i) और 494 के तहत पुणे के दत्तावाड़ी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करा दी. पुलिस ने जांच पूरी करके चार्जशीट दाखिल कर दी. इसके खिलाफ सिद्धार्थ ने बरी करने की मांग करते हुए पुणे सेशन कोर्ट में याचिका दाखिल की. सुनवाई के बाद सेशन कोर्ट ने 3 सितंबर 2021 को बलात्कार के आरोप हटाने से इनकार कर दिया और याचिका खारिज कर दी. इसके बाद सिद्धार्थ ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. बता दें कि इस तह की धोखाधड़ी में फंसने वालों के लिए एक बेहद कारगर कानून है.