श्रद्धा की हत्या मामले की जांच कर रही पुलिस हाथ अब तक कोई ठोस सबूत नहीं लग पाया है. जबकि दिल्ली पुलिस इस मामले की बड़ी गंभीरता से और अलग-अलग एंगल से जांच कर रही है. दिल्ली पुलिस के अनुसार आफताब पूनावाला ने इसी साल के मई महीने में श्रद्धा का मर्डर किया और अक्टूबर तक लाश के टुकड़े फेंकता रहा. इसके बाद नवंबर महीने में पुलिस ने आफताब को गिरफ्तार किया. अपनी गिरफ़्तारी के बाद से आफताब जो भी कह रहा है, पुलिस वही कर रही है. दिल्ली पुलिस को जरा सा भी सबूत होने का इशारा मिलता है, वो वहीं दौड़ पड़ती है. फिर चाहे दिल्ली से गुरुग्राम का रास्ता हो या फिर दिल्ली से मुंबई ! इसके साथ ही मुंबई से उत्तराखंड और उत्तराखंड से हिमाचल प्रदेश में पिछले 15 दिन सबूत के लिए सायरन बजाती पुलिस की गाड़ियां दौड़ रही है. आफताब जो भी ठिकाना बताता है, पुलिस वहां पहुंचने में जरा भर भी देर नहीं करती, लेकिन पुलिस की इस दौड़ में अब तक कोई सॉलिड नतीजा नहीं निकल पाया है. किसी को कल्पना तक नहीं थी कि साधारण सा दिखने वाला एक क्रिमिनल पूरे सिस्टम को हिला कर रख देगा. आखिर किसे पता था कि एक कत्ल की गुत्थी सुलझाने में पुलिस की सांस फूल जाएगी. दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट को बताया कि श्रद्धा हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने के लिए अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, एसीपी (साइबर सेल) और 200 तेज तर्रार पुलिस अफसरों की टीम जांच में शामिल हैं. श्रद्धा हत्याकांड मामले में 80 फीसदी जांच अब तक पूरी हो चुकी है. पिछले दो दिन से आफताब का पॉलीग्राफ टेस्ट हो रहा है तो वहीं उसकी नार्को टेस्ट करवाने की भी तैयारी चल रही है. यानी हर वो कोशिश जारी है, जिससे कि आफताब के गुनाहों का पक्का हिसाब हो सके, लेकिन डेढ़ सप्ताह के दौरान अब ये तो साफ हो चुका है कि आफताब योजनाबद्ध तरीके से इस जघन्य हत्या की वारदात को अंजाम दिया है. ऐसे में देखा जाए तो आफताब इतना शातिर है कि श्रद्धा के लाश के टुकड़े फेंकने के दौरान वह अपना मोबाइल फ्लैट पर ही छोड़ कर जाता था, जिससे उसके लोकेशन को ट्रेस न किया जा सके. इसके साथ ही दिल्ली में पुलिस ने आफताब पूनावाला के फ्लैट से पांच धारदार चाकू बरामद किए हैं. इनकी लंबाई 5 से 6 इंच की है, लेकिन श्रद्धा के शरीर के टुकड़े इन्हीं से किए गए, ये अभी तक साफ नहीं है. वहीं मुंबई में पुलिस भायंदर की खाड़ी में आफताब का मोबाइल तलाश कर रही है. दूसरे दिन भी गोताखोरों की मदद से पुलिस की टीमों ने सर्च ऑपरेशन चलाया. वहीं इन सबके साथ-साथ श्रद्धा की हत्या के तार पुलिस हिमाचल प्रदेश में भी तलाश रही है, क्योंकि दिल्ली के छतरपुर में आने से पहले आफताब श्रद्धा को लेकर हिमाचल गया था. ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि क्या आफताब श्रद्धा को हिमाचल में ही मारना चाहता था? क्या श्रद्धा के कत्ल की पूरी प्लानिंग हिमाचल में हो चुकी थी? दिल्ली पुलिस की टीम इन्हीं सवालों का जवाब तलाशने के लिए हिमाचल प्रदेश में हैं. आफताब और श्रद्धा मनाली के करीब कसौल में रुके थे.
दरअसल, आफताब और श्रद्धा इसी साल 6 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश घूमने गए थे. दोनों तीन दिन तक कुल्लू जिले की मणिकर्ण घाटी में ठहरे थे. 6 और 8 अप्रैल को मणिकर्ण के व्हाइट लोटस गेस्ट हाउस एंड रेस्टोरेंट में रुके थे. श्रद्धा के कत्ल की पहाड़ में प्लानिंग और दिल्ली में मर्डर की थ्योरी की एक और वजह है. दरअसल, मनाली के करीब कसौल शहर है. ज्यादातर टूरिस्ट इसी शहर में ठहरते हैं, लेकिन आफताब श्रद्धा को लेकर यहां से बेहद जोखिम भरे रास्ते वाले तोष गांव में ले गया. यहां कई जगह लैंड स्लाइडिंग है. तोष में गाड़ी नहीं पहुंच पाती है, बावजूद इसके आफताब ने कसोल से भी 30 किलोमीटर दूर तोष गांव को चुना. पुलिस के सामने एक सवाल यह भी है कि क्या आफताब इन्हीं खाइयों में श्रद्धा को मार देना चाहता था. पुलिस के अनुसार चूंकि आफताब जानता था कि पहाड़ में मार कर इसे हादसे की शक्ल दी जा सकती है, इसलिए ये शातिर श्रद्धा को जंगल से लेकर पहाड़ तक घुमाता रहा. अब पुलिस भी सबूतों की तलाश में मैदान से लेकर पहाड़ और तालाब से लेकर समुद्र तक को खंगाल रही है, लेकिन ठोस सबूतों का अभी भी इंतजार है. ऐसे में बड़ा सवाल ये भी है कि जिस तरह से श्रद्धा की आफताब ने हत्या की है, उसमे तथ्यों को जुटा पाने में दिल्ली पुलिस कितनी कामयाब हो पाएगी ?