शादी के बाद पति करता था पिटाई, अफसर बनकर पत्नी ने सिखाया सबक

 20 Apr 2023  1048

ब्यूरो रिपोर्ट/in24न्यूज़/मध्यप्रदेश

   पुरुष प्रधान इस भारत वर्ष में महिलाएं भी अब पुरुष के मुकाबले पीछे नहीं हैं. इसकी जीती जागती मिसाल पेश की है मध्य प्रदेश में तैनात महिला ऑफिसर सविता प्रधान ने, जिनकी गिनती बेहद तेज-तर्रार ऑफिसर्स में की जाती है. वह इस समय ग्वालियर संभाग में ज्‍वाइंट डायरेक्टर के पद पर तैनात हैं. हालांकि, सविता का यहां तक का सफर काफी कठिन और दर्द भरा रहा है. यहां तक पहुंचने से पहले उन्होंने आत्महत्या तक करने का प्रयास कर दिया, चूंकि अपनी निजी जिंदगी में सविता ने की तरह की यातनाएं झेली. ऑफिसर बनने से पहले सविता का पति उन्हें बेवजह पीटा करता था, यहां तक उनके ससुराल वाले भी उनकी दुर्गति कर रहे थे. नौबत ऐसी थी कि भूख लगने पर पति के डर से सविता रोटियों को अपने अंडरवीयर में छिपाकर बाथरूम में ले जाकर खाया करती थीं. इस जुल्म को सहते-सहते ही एक दिन सविता ने सुसाइड करने के फैसला किया, लेकिन उस समय कुछ ऐसा हुआ, जिसके बाद सविता एक ऑफिसर बन गई और उसके बाद उन्होंने अपने पति को अच्छे से सबक सिखाया. सविता का जन्म मध्य प्रदेश के मंडी गांव में एक आदिवासी परिवार में हुआ था. वह अपने माता-पिता की तीसरी संतान हैं. उनके घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी. हालांकि, इसके बावजूद जिस गांव में वह रहती थी, उस गांव की वह ऐसी पहली लड़की थी, जिसने कक्षा 10वीं पास की थी. हालांकि, माता-पिता द्वारा उन्हें पढ़ाने का एकमात्र कारण यह था कि उन्हें पढ़ाने के कारण उनके घर वालों को 150 से 200 रुपये की स्कॉलरशिप मिल जाती थी. सविता के पास स्कूल जाने के लिए भी दो रुपये नहीं रहते थे. कक्षा 10वीं पास करने के बाद सविता का एडमिशन गांव से करीब 7 किमी. दूर स्थित एक स्कूल में करवा दिया गया. जहां आने और जाने में कुल 2 रुपये का खर्च आता था. हालांकि, जिस कारण उन्हें अक्सर पैदल ही स्कूल जाना पड़ता था. फिर उनके माता-पिता ने उसी गांव में काम ढूंढ़ लिया, जहां सविता का स्कूल था. स्कूल के दिनों में ही सविता के लिए काफी बड़े घर से रिश्ता आ गया था. रिश्ता काफी बड़े घर से था, इसलिए तुरंत ही सविता की मर्जी के बिना ही घरवालों ने शादी करा दी. लेकिन शादी के कुछ ही दिनों बाद सविता के साथ नौकरों जैसा व्यवहार किया जाने लगा. सविता के मुताबिक, उनसे ससुराल में जी-तोड़ काम करवाया जाता था. उन पर ससुराल में कई तरह की पाबंदियां भी लगी दी गई थीं, जैसे - वह डाइनिंग टेबल पर सबके साथ बैठकर खाना नहीं खा सकती थीं, खुलकर हंस नहीं सकती थीं, उन्हें घर में सबके खाना खाने के बाद भोजन करने की हिदायत थी. वहीं, अगर खाना खत्म हो जाए तो वह अपने लिए दोबारा खाना भी नहीं बना सकती थीं. नौबत ऐसी थी कि पति द्वारा मारे जाने के डर से वह रोटियों को अपने अंडरगारमेंट में छुपा कर बाथरूम में ले जाती थीं और वहीं पर बैठ कर खाया करती थीं. एक समय सविता को पता चला कि वह प्रेग्‍नेंट हैं. जिसके बाद उन्होंने अपने पहले बेटे को जन्म दिया. बेटे के पैदा होने पर भी उनके जीवन में कोई सुधार नहीं आया. ससुराल वाले अब भी उनके साथ वैसा ही बर्ताव करते थे. देखते-देखते उनका दूसरा बच्चा भी हो गया, लेकिन पति की मार-पिटाई बदस्तूर जारी रही. एक दिन इस सब से तंग आकर सविता ने सुसाइड करने का फैसला किया. जब वह पंखे से फांसी लगाकर झूलने जा रही थी, कि उनकी नजर अपनी सास पर पड़ी. दरअसल, इत्तेफाक से कमरे की खिड़की खुली रह गई थी. हालांकि, सविता की सास ने उन्हें बचाने की कोई कोशिश नहीं की. वह सब कुछ देखकर आगे बढ़ गईं. तब सविता को एहसास हुआ कि वह ऐसे लोगों के लिए भला अपनी जान क्यों देने जा रही हैं. इसके बाद उन्होंने अपना घर छोड़ने का फैसला किया. वह अपने दोनों बच्चों को लेकर वहां से निकल गई. कमाई के लिए उन्होंने ब्यूटी पार्लर में भी काम किया. इसके बाद उन्होंने इंदौर यूनिवर्सिटी से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर की डिग्री हासिल की और फिर इसके बाद उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा क्रैक कर डाली. परीक्षा क्रैक कर जब सविता ऑफिसर बनीं, तो उनकी पहली पोस्टिंग चीफ म्युनिसिपल ऑफिसर के तौर पर हुई थी. उनकी तरक्की देखकर उनका पति दोबारा उनकी जिंदगी में वापस लौट आया था. लेकिन उसने सविता को फिर से पीटना शुरू कर दिया था. इस बार उन्होंने पति को सबक सिखाने की सोची. उन्होंने काफी दुखी मन से इस सब के बारे में अपने सीनियर्स को बताया. सीनियर्स ने कहा कि अगर इस बार उनका पति वापस उनके पास आए तो वह उन्हें तुरंत फोन कर दें. पति एक दिन फिर आया. सविता को पहले ही एहसास हो गया था कि वह उनके साथ दोबारा मारपीट करेगा. इसलिए उसने जैसे ही ऐसा किया, सविता ने अपने सीनियर्स को फोन लगा दिया. थोड़ी ही देर में घर में पुलिस आ गई. उसने जो कुछ सविता के साथ किया था, पुलिस वालों ने सूद समेत उसे वह लौटाया. आज सविता अपने पति से तलाक लेकर अपने दो बेटों के साथ खुशी-खुशी जीवन बिता रही हैं. कहते हैं कई सब्र का बांध जब टूट जाता है तो सुनामी आ जाती है. वैसे ही सविता का जब सब्र टूटा तो उसने वह करिश्मा कर दिखाया जिसकी कल्पना उन्होंने खुद कभी नहीं की थी.